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कौसल्या

   { kausalyā }
Script: Devanagari

कौसल्या     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
KAUSALYĀ I   A queen of King Daśaratha and mother of Śrī Rāma. Daśaratha had three wives Kausalyā, Kaikeyī and Sumitrā. Kausalyā gave birth to Śrī Rāma, Kaikeyī to Bharata and Sumitrā to Lakṣmaṇa and Śatrughna. [Vālmīki Rāmāyaṇa, Bāla Kāṇḍa, Sarga 16] .
KAUSALYĀ II   Queen of the King of Kāśī. Ambā, Ambikā, and Ambālikā were daughters of this Kausalyā. Of these daughters Ambālikā also was called Kausalyā. After the death of Pāṇḍu she went to the forest with Ambikā. [M.B. Ādi Parva, Chapter 129] .
KAUSALYĀ III   The queen of a Yādava King. She was the mother of the Yādava named Keśin. [Devī Bhāgavata, Skandha 9] .
KAUSALYĀ IV   Wife of Puru, the son of King Yayāti. Janamejaya was born to Puru of his wife Kausalyā. [M.B. Ādi Parva, Chapter 95, Stanza 11] .
KAUSALYĀ V   The queen of Janaka, the King of Mithilā. Once King Janaka decided to sell his palace and everything he possessed and to go abegging for alms. But his brave wife Kausalyā convinced her husband by her reasonable arguments that he should not venture to do so. Thus she prevented her husband from carrying out his decision.

कौसल्या     

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कौसल्या     

कौसल्या n.  कोसल देश के भानुमान राजा की कन्या तथा राजा दशरथ की पटरानी । इसे हजार गॉंव स्त्री-धन के स्वरुप में नैहर से मिले थे [वा.रा.अयो. ३१.२२-२३] । इसका पुत्र रामचंद्र । यह दशरथ की पहली स्त्री थी । राम को युवराज्यभिषेक करने की बात निश्चित हुई । यह समाचार कौसल्या को राम के द्वारा ही मिला । कैकेयी को बताने के लिये राजा स्वयं गया था । भरत के कहने से पता चलता है कि, कौसल्या कैकेयी के साथ वहन सा व्यवहार करती थी [वा.रा.अयो. ७३. १०] । परंतु कैकेयी एवं उसके परिवार के लोग बार बार इसका अपमान करते थे । वा.रा.अयो.२०.३९) । कैकेयी व्यंगवचनोम से इसका मर्मभेद करती थी [वा.रा.अयो.२०.४४] । राम इसके पास वन जाने के लिये अनुमति मॉंगने गया । तब लक्ष्मण ने, पिता का निग्रह कर राज्य पर अधिकार करने का उपाय सुझाया । उस समय कौसल्या ने प्रच्छन्न रुप से संमति दी [वा.रा.अयो.२१.२१] । संभवतः निरुपाय हो कर इसने संमति दी होगी । राम को इस बात की स्पष्ट कल्पना थीं कि, वन जाने के बाद माता की कुछ भी कदर नहीं होगी [वा.रा.अयो.३१.११] । पंद्रहवें वर्ष राम के लौटेन पर भरत राज्य एवं कोश लौटा देगा, इसकी संभावना न थी [वा.रा.अयो.६१.११] । राम के वन चले के बाद, यह दशरथ से मर्मस्पर्शी बातें करने लगी । उस समय दयनीय अवस्था में दशरथ ने कौसल्या को हात जोडे । तब कौसल्या को अपनी भूल ध्यान में आयी । पुत्रशोक से व्याकुल होने के कारण, कटुवचन कहे, यह बात उसने मान्य की [वा.रा.अयो.६२.१४] । यह मृदु स्वभाव की थी । पतिसुख से वंचित तथा सौतद्वारा सताये जाने के कारण, यह उदासीन वृत्ति से रहती थी । इस वृत्ति का राम के चरित्र पर बहुत परिणाम हुआ । राम के चरित्र में अंतर्भूत धार्मिकता का अंश इसी की देन थी ।
कौसल्या II. n.  काशीराज की कन्या अम्बिका [म.आ.१००.४.१०७५]
कौसल्या III. n.  कृष्णपिता वसुदेव की एक पत्नी ।

कौसल्या     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
कौसल्या  f. af. ‘daughter of a prince of the कोसलs’, N. of the wife of पूरु and mother of जनम्-एजय, [MBh. i, 3764]
of the wife of सत्वत्, [Hariv. 1999]
of दश-रथ's wife (mother of राम-चन्द्र), [MBh. iii, 15879] ; [R.]
of the mother of धृत-राष्ट्र, [L.]
of the mother of पाण्डु, [L.]
कौसल्या   b (f. of °ल्यq.v.)

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