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गृत्समद

   { gṛtsamadḥ, gṛtsamada }
Script: Devanagari

गृत्समद     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
GṚTSAMADA I   A celebrated sage. He was the son of a sage called Vītahavya. Gṛtsamada was equal to Bṛhaspati and a great friend of Indra. Once this sage lectured to Yudhiṣṭhira on the glory of Śiva. Many have mistaken Grtsamada for Indra. Once the asuras bound him by ropes mistaking him for Indra. He had a son named Kucetā. (For more details see under Variṣṭhā) [Chapters 18 and 30, Anuśāsana Parva] .
GṚTSAMADA II   A King of the Bhārgava dynasty. He was the son of King Suhotra. Gṛtsamada had two brothers. Kāśya and Kuśa, and a son, Śunaka. [9th Skandha, Bhāgavata] .
GṚTSAMADA III   The son born to Indra of Mukundā. There is the following story about him in Gaṇeśa Purāṇa. Once when Rukmāṅgada was out from the palace, Indra, in the guise of Rukmāṅgada, went to Mukundā, wife of Rukmāṅgada, and slept with her who was at that time sexually hungry. She delivered a child in due course. This boy was Gṛtsamada. He grew into a great scholar. Nobody was able to defeat him in any verbal duel. Once Gṛtsamada went to the palace of the king of Magadha to attend a Śrāddha (an offering to the manes) along with Vasiṣṭha and others. Atri Maharṣi who was present there then spoke slightingly of Gṛtsamada's parentage and Gṛtsamada coming home questioned his mother. The mother then told him what had happened and Gṛtsamada getting angry at the immoral act committed by his mother cursed her and said “May you be a Kaṇṭaka tree”. Mukundā also did not leave her son free. She cursed him thus “You will have a demon as your son”. But Gṛtsamada went and did penance to propitiate Gaṇapati and got Brāhmaṇya.

गृत्समद     

हिन्दी (hindi) WN | Hindi  Hindi
noun  एक वैदिक ऋषि   Ex. गृत्समद का वर्णन ऋग्वेद में मिलता है ।
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
गृत्समद ऋषि
Wordnet:
benগৃত্সমদ ঋষি
kasگرتسمَد , گرتسمَد ریش
kokगृत्समद
marगृत्समद
oriଗୃତ୍ସମଦ ଋଷି
panਗ੍ਰਿਤਸਮਦ
urdگرتسمد , گرتسمد رشی

गृत्समद     

गृत्समद n.  यह एक व्यक्ति का तथा कुल का भी नाम है । यह अंगिरस् कुल के शुनहोत्र का पुत्र हैं (सर्वानुक्रमणीं देखिये) यह बाद में भार्गव हो गया । गृत्समद शब्द की व्युत्पत्ति, ऐतरेय आरण्यक में आयी है । गृत्स का अर्थ है प्राण, तथा मद का अर्थ है अपान । इसमें प्राणापानों का समुच्चय था, इसलिये इसे गृत्समद कहते है [ऐ.आ.२.२.१] । यह तथा इसके कुल के व्यक्ति, ऋग्वेद के दूसरे मंडल के द्रष्टाएँ हैं [ऐ. ब्रा५.२.४] ;[ऐ.आ.२.२.१] ; सर्वानुक्रमणी देखिये । एक बार तपप्रभाव से इसे इंद्र का स्वरुप हुआ । इस बारे में तीन आख्यायिकाएँ प्रसिद्ध है (१) धुनि अथा चुमुरि ने इसे इंद्र समझ कर घेर लिया । ‘मैं इंद्र नहीं हूँ’ यह बताने के लिये इसने इंद्र का उत्कृष्ट वर्णन करनेवाला ‘स जनास इंद्रः’ [ऋ.२.१२] ।, अह टॆकयुक्त सूक्त कहना प्रारंभ किया। (२) इंद्रादिक देवता वैन्य के यज्ञ में गये । वहॉं गृत्समद भी था । दैत्य इंद्र का वध करने के हेतु से वहॉं आये । इंद्र गृत्समद का रुप ले कर भाग गया । असुरों ने गृत्समद को घेरा । उस समय एक सूत से इसने इंद्र का उत्कृष्ट वर्णन किया [ऋ. २. १२] (३) गृत्समद के घर में अकेले आये इंद्र को देख कर शत्रुओं ने घेरा । तब इंद्र गृत्समद का रुप ले कर भाग गया । घर के गृत्समद को उन्हों ने इंद्र समझ कर पकड लिया । तब इसने यह सूक्त कह कर इंद्र का वर्णन किया [ऋ. २.१२] । ऋग्वेद के दूसरे मंडल में गृत्समद का बार बार उल्लेख आता है [ऋ. २.४.९, १९.८ इ.] । इसे शुनहोत्र भी कहा है [ऋ. २.१८.६, ४१.१४, १७] । ऋग्वेद के दूसरे मंडल की ऋचाओं का उल्लेख गार्त्समद ऋचा के नाम से प्राप्य है [सां. आ. २२.४,२८.२] । यह भृगुकुल का गोत्रकार, प्रवर तथा मंत्रकार है । गृत्समद भार्गव शौनक ऋग्वेद का सूक्तद्रष्टा है [ऋ. २.१-३, ८-४३, ९.८६, ४६-४८] । एक बार चाक्षुष मनु का पुत्र वरिष्ठ इंद्र के सहस्त्रवार्षिक सत्र में आया । साम अशुद्ध गाने के लिये इसे दोष दे कर, रुक्ष अरण्य में क्रूर पशु बनने का शाप वरिष्ठ नें इसे दिया । परंतु शंकर की कृपा से यह मुक्त हुआ [म.अनु. १८.२०-२८] । गृत्तमद का भृगुवंश में उल्लेख है [मत्स्य. १९५.४४-४५] गृत्समद का पैतृक नाम शौनक है । यह शुनहोत्र का औरस पुत्र तथा शुनक का पुत्र था । अतः प्रथम यह आंगिरस् कुल में था, एवं बाद में भृगुकुल में गया [ऋ.ष्यनुक्रमणी२]
गृत्समद II. n.  एक ऋषि । भृगु के कहने पर ब्राह्मण बने वीतहव्य का पुत्र । इसका पुत्र सुचेतस ।
गृत्समद III. n.  दंडकारण्य में रहनेवाला एक ऋषि । इसके सौ पुत्र थे [अ.रा.८]
गृत्समद IV. n.  (सौ. क्षत्र.) वायु तथा विष्णु मतानुसार सुनहोत्रसुत्र । आयुकुल के सुहोत्र वा सुतहोत्र राजा के तीन पुत्रों में कनिष्ठ । इसे शुनक नामक पुत्र था [ब्रह्मांड. ११.३२.३४] ;[ह. वं. १.२९.६७]
गृत्समद V. n.  भीष्म शरपंजर में पडे थे, तब उनके पास आया हुआ एक ऋषि [भा. १.९.७]
गृत्समद VI. n.  इंद्र का मुकुंदा से उत्पन्न पुत्र । एक बार रुक्मांगद बाहर गया था, तब उसकी पत्नी मुकुंदा काममोहित हुई । इंद्र ने रुक्तमांगद का रुप ले उससे संभोग किया । उसे गर्भ रहा था पुत्र उत्पन्न हुआ । यही गृत्समद था । आगे चल कर, यह बडा विद्वान हुआ । यह वादविवाद में किसी से पराजित नहीं होता था । एक बार मगध देश के राजा के घर, वसिष्ठादि मुनि श्राद्ध के लिये एकत्रित हुए । तब अत्रि ने तुम पंक्तिपावन नहीं हो, कह कर इसका उपहास किया । माता के पास आकर, इसने पूछताछ की । तब मुकुंदा ने इसका जन्मवृत्त का इसे कथन किया । इसने मुकुंदा को शाप दिया ‘तुम कंटकवृक्ष बनोगी’ । उसने भी उलट शाप दिया ‘तुम्हें दैत्य पुत्र होगा’ बाद में ‘गणानां त्वा’ मंत्र का अनुष्ठान कर के, इसने गणपति को प्रसन्न कर ब्राह्मण्य भी प्राप्त किया [गणेश. १.३७]

गृत्समद     

कोंकणी (Konkani) WN | Konkani  Konkani
noun  एक वैदीक रुशी   Ex. गृत्समदाचें वर्णन ऋग्वेदांत मेळटा
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
गृत्समद रुशी
Wordnet:
benগৃত্সমদ ঋষি
hinगृत्समद
kasگرتسمَد , گرتسمَد ریش
marगृत्समद
oriଗୃତ୍ସମଦ ଋଷି
panਗ੍ਰਿਤਸਮਦ
urdگرتسمد , گرتسمد رشی

गृत्समद     

मराठी (Marathi) WN | Marathi  Marathi
noun  एक वैदिक ऋषी   Ex. गृत्समदचे वर्णन ऋग्वेदात आढळते.
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
गृत्समद ऋषी
Wordnet:
benগৃত্সমদ ঋষি
hinगृत्समद
kasگرتسمَد , گرتسمَد ریش
kokगृत्समद
oriଗୃତ୍ସମଦ ଋଷି
panਗ੍ਰਿਤਸਮਦ
urdگرتسمد , گرتسمد رشی

गृत्समद     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
गृत्स—मद  m. m.N. of a son of शौनक of भृगु's family (formerly a son of शुन-होत्र [Su-hotra, [VP.] ; [BhP.] ] of the family of अङ्गिरस्, but by इन्द्र's will transferred to the भृगु family; author of most of the hymns of [RV. ii] ), [RAnukr.] ; [ĀśvŚr. xii, 10, 13] ; [ĀśvGṛ. iii, 4, 2] ; [ŚāṅkhGṛ.] ; [MBh. xiii] ; [Hariv.] &c.
ROOTS:
गृत्स मद
गृत्स—मद  m. m. pl.गृत्समद's family, [RV. ii, 4, 9; 19, 8; 39, 8; 41, 18.]
ROOTS:
गृत्स मद

गृत्समद     

गृत्समदः [gṛtsamadḥ]  N. N. of a Vedic Ṛiṣi and author of several hymns in Ṛigveda.

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