दाक्षायण n. एक राजवंश। ‘दक्ष’ राजा के वंशज संभवतः इस नाम से प्रसिद्ध हुएँ थे । इस वंश के राजा संस्कारविशेष, के कारण, ‘शतपथ ब्राह्मण’ के समय तक, समृद्ध जीवन व्यतित कर रहे थे
[श. ब्रा.२.४.४.६] ; दक्ष देखिये । अथर्ववेद एवं यजुर्वेद संहिताओं में, शतानीक सात्रजित ऋषि को दाक्षायणों ने स्वर्ण प्रदान करने का निर्देश प्राप्त है
[अ.वे.१.३५.१-२] ;
[वा.सं. ३४.५१-५२] ; खिल.४.७.७.८ । कई जगह, ‘दाक्षायण’ व्यक्तिवाचक न हो कर, ‘स्वर्ण’ अर्थ से भी प्रयुक्त किया है
[ऐ. ब्रा.३.४०] । महाभाष्य में, पाणिनि को दाक्षायण कहा गया है ।