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पुलस्त्य

   { pulastya }
Script: Devanagari

पुलस्त्य     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
PULASTYA   One of the Prajāpatis.
1) Birth and marriage.
Pulastya is one of the six spiritual sons of Brahmā. Pulastya was born from the Karṇa--ear--of Brahmā. [Chapter 65, Ādi Parva] ;[Bhāgavata] . Pulastya had a son named Dattoli [Dambholi] of his wife Prīti. This Dattoli in his previous birth was the Agastya of Svāyambhuva Manvantara. [Chapter 10, Aṁśa 1, Viṣṇu Purāṇa] . Pulastya had a son named Viśravas of his wife Havirbhū. [4th Skandha, Bhāgavata] . Mahābhārata states that Pulastya had two wives named Sandhyā and Pratīcī. Havirbhū mother of Viśravas had another name, Māninī. All these statements taken together indicate that Pulastya had four wives named Prīti, Havirbhū, Sandhyā and Pratīcī.
2) Genealogy.
The race formed by Pulastya is given below: Pulastya got a son named Viśravas of his wife Havirbhū alias Māninī. Viśravas had two wives named Kaikasī and Devavarṇinī alias Ilabilā. Kaikasī had three sons, Rāvaṇa, Kumbhakarṇa, and Vibhīṣaṇa and a daughter named Śūrpaṇakhā. Rāvaṇa got of his wife Mandodarī three sons, Meghanāda, Atikāya and Akṣakumāra. Kumbhakarṇa got of his wife Vajramālā two sons named Kumbha and Nikumbha. Vibhīṣaṇa got of his wife Saramā seven sons. Viśravas got of his wife Ilabilā a son named Vaiśravaṇa alias Kubera.
3) Birth of Viśravas.
In olden times in Tretāyuga Pulastya Maharṣi was doing penance on Mt. Meru. On a nearby hillock the sage Tṛṇabindu was also doing penance. Celestial maidens, Nāga maidens and their lovers came to the āśrama and by their erotic sports and dances vitiated the precincts of the āśrama. Pulastya got angry and cursed all the maidens to become pregnant if they entered the āśrama area. Without knowing this curse Māninī, daughter of Tṛṇabindu came to that spot and got pregnant of Pulastya. Pulastya then married her and the celebrated Maharṣi Viśravas was born to her.
4) How he saved Rāvaṇa.
Once Rāvaṇa who started on a victory campaign met Kārtavīryārjuna on the shores of Narmadā. Kārtavīryārjuna chained Rāvaṇa in the former's prison. Pulastya was grieved much to hear about the plight of his grandson and going to Kārtavīryārjuna and explaining things got the release of Rāvaṇa. [Chapter 46, Brahmāṇḍa Purāṇa] .
5) Other details.
(i) Pulastya once blessed Parāśara for the writing of Purāṇas. [Chapter 1, Aṁśa 1, Viṣṇu Purāṇa] .
(ii) Rākṣasas, Vānaras (monkeys), Kinnaras, Gandharvas and Yakṣas were born from the intelligent Pulastya. [Śloka 7, Chapter 66, Ādi Parva] .
(iii) He was present for the Janmotsava of Arjuna. [Śloka 52, Chapter 122, Ādi Parva] .
(iv) Parāśara once started to perform a Yāga to destroy all the rākṣasas. Pulastya along with other sages went and persuaded him to withdraw from his venture. [Chapter 180, Ādi Parva] .
(v) Pulastya was a member of the court of Indra. [Śloka 17, Chapter 7, Sabhā Parva] .
(vi) Pulastya sits in the court of Brahmā and worships him. [Śloka 19, Chapter 11, Ādi Parva] .
(vii) Once Pulastya taught Bhīṣma the importance and greatness of all the holy places of Bhārata. From then onwards Pulastya is called the Guru of Bhīṣma also. [Chapter 82, Vana Parva] .
(viii) Pulastya got of his wife Gau a son named Kubera. [Śloka 12, Chapter 274, Vana Parva] .
(ix) Viśravas was born of half of the body of Pulastya. [Chapter 274, Śloka 13 Ādi Parva] .
(x) Pulastya was present for the birth day celebrations of Subrahmaṇya. [Śloka 9, Chapter 45, Śalya Parva] .
(xi) Pulastya also visited Bhīṣma lying on his bed of arrows. [Śloka 10, Chapter 47, Śānti Parva] .
(xii) Pulastya was one among the twentyone Prajāpatis. (See under Prajāpati).
(xiii) Pulastya is included in the group of Saptarṣis called Citraśikhaṇḍins. [Śloka 29, Chapter 335, Śānti Parva] .
(xiv) Pulastya is one of the Aṣṭaprakṛtis. [Chapter 340, Śānti Parva] .
(xv) As synonyms of Pulastya the following terms are used: Brahmarṣi, Viprayogī. [Mahābhārata] .

पुलस्त्य     

हिन्दी (hindi) WN | Hindi  Hindi
noun  ब्रह्मा के मानस पुत्र   Ex. पुलस्त्य सप्तऋषियों में से एक माने जाते हैं ।
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
पुलस्त्यऋषि पुलस्त्य ऋषि पुलस्ति पुलस्त पुलस्य वेदबाहु दत्तोलि
Wordnet:
benপুলসত্য
gujપુલસ્ત્ય
kokपुलस्त्य
malപുലസ്ത്യമുനി
marपुलस्त्य
oriପୁଲସ୍ତ୍ୟ
panਪੁਲਸਤ
tamபுலஸ்தியர்
urdپُلستّے , پُلستّے رشی , پُلستی , پُلست , پُلسّے , وعدباہو , دتّولی

पुलस्त्य     

पुलस्त्य n.  ब्रह्माजी के आठ मानसपुत्रों में से एक, जो छः शक्तिशाली महर्षियों मे गिने जाते हैं [म.आ.६०.४] । ब्रह्माजी के अन्य सात मानस पुत्रों के नाम इस प्रकार हैः
पुलस्त्य n.  पुराणों में दी गयी पुलस्त्य के पुत्रों की नामावली इस प्रकार हैः-- (१) प्रीतिपुत्र---दानाग्नि, देवबाहु, अत्रि [ब्रह्मांड.२.१२.२६-२९] ; दंभोलि (अगस्त्य) [विष्णु.१.१०] । (२) हविर्भुवापुत्र---अगस्त्य; विश्रवा [भा.४.१.३६] । इनके सिवा, पुलस्त्य को प्रीति से सद्वती नामक एक कन्या उत्पन्न हुयी थी ।
पुलस्त्य II. n.  वैवस्वत मन्वतर में पैदा हुआ आद्य पुलस्त्य ऋषि का पुनरावतार । शिवाजी के शाप से मरे हुए ब्रह्माजी के सारे मानसपुत्र, वैवस्वत मन्वंतर के प्रारंभ में ब्रह्मा जे द्वारा पुनः उत्पन्न किये । उस समय यह अग्नि के ‘पिंगल’ केशों में सें उत्पन्न हुआ । एक बार यह मेरु पर्वत पर तपस्या कर, रहा था । उस समय गंधर्वकन्यायें पुनः पुनः इसके समीप आकार इसकी तपस्या में बाधा डालने लगी । फिर इसने क्रुद्ध हो कर, उन्हें शाप दिया, ‘जो भी कन्या मेरे सामने आयोगी, वह ‘गर्भवती’ हो जायेगी । वैशाली देश के तृणबिंदु राजा की कन्या गौ अथवा इडविडा असावधानी से इसके सामने आ गयीं । तुरंत अप्सराओं को इसके द्वारा दिये गये शाप के कारण, वह गर्भवती हो गयी । बाद में पुलस्त्य से उसका विवाह हो गया, एवं उससे इसे विश्रवस ऐडविड नामक पुत्र उत्पन्न हुआ [म.व.२५८.१२] ;[वा.रा.उ.४] । तृणबिंदु राजा का काल, त्रेतायुग का तीसरा मास माना जाता है । विश्रवस् का निवासस्थान नर्मदा नदी के किनारे पश्चिम भारत प्रदेश में था [म.व.८७.२-३] । इन दो निर्देशों के आधार पर, पुलस्त्य का काल एवं स्थलनिर्णय किया जा सकता है । एक बार ‘महीसागर संगमतीर्थ’ अतिगर्व के कारण, उद्धत हो उठा । इसलिये पुलस्त्य ने उसे ‘स्तंभगर्व’ यह नया नाम प्रदान किया [स्कंद. १.२.५.८] । ब्रह्माजी ने पुष्करतीर्थ पर किये यज्ञ समारोह में, अध्वर्यु के स्थान पर पुलस्त्य की योजना की गयी थी ।
पुलस्त्य II. n.  पुलत्स्य को इडविडा से विश्रवस् ऐडविड नामक एक पुत्र उत्पन्न हुआ था । विश्रवस् से उत्पन्न पुलस्त्येवंश की बहुत सारी संतति राक्षस थी । इस कारण पुलस्त्य ने अगस्त्य ऋषि का एक पुत्र गोद लिया [मत्स्य. २०२.१२-१३] । इसी दत्तोलि (दंभोलि) नामक पुत्र से, आगे चल कर, पुलत्यवंश की ‘अगस्त्य शाखा’ का निर्माण हुआ ।
पुलस्त्य II. n.  पुलस्त्यवंश की विस्तृत जानकारी महाभारत एवं पुराणों में प्राप्त है [म.आ.६६] ;[वायु.७०.३१-६३] ;[ब्रह्मांड.३.८] ;[लिंग.१.६३] ;[मत्स्य. २०२] ;[भा४.१.३६] । इस वंश के लोग ‘पौलस्त्य राक्षस’ नामक सामूहिक नाम से प्रख्यात थे, जिसमें निम्नलिखित तीन शाखाओं का अंतर्भाव होता थाः--- (१) कुबेर वैश्रवण शाखा---पुलस्त्यपुत्र विश्रवस् को बृहस्पतिकन्या देववर्णिनी से कुबेर नामक पुत्र हुआ । कुबेर स्वयं यक्ष था, किंतु उसके चार पुत्र (नलकूबर, रावण, कुंभकर्ण, एवं बिभीषण), तथा एक कन्या (शूर्पणखा) राक्षस थे । उन्हीं से आगे चल कर, पौलस्त्य राक्षसवंश की स्थापना हुयी । इन राक्षसों का सम्राट स्वयं कुबेर ही था । (२) अगस्त्य शाखा---पुलस्त्य ने गोद में लिये अगस्त्यपुत्र दत्तोलि (दंभोलि) से आगे चल कर, अगस्त्य नामक ‘ब्रह्मराक्षस’ वंश की स्थापना हुयी । ब्राह्मणवंश से उत्पन्न हुये राक्षसों को ब्रह्मराक्षस कहते थे । ये ब्रह्मराक्षस वेदविद्याओं में पारंगत, एवं रात्रि के समय, यज्ञयागादि विधि करते थे । हिरण्यशृंग पर ये कुबेर की सेवा करते थे [वायु.४७.६०-६१] ;[ब्रह्मांड २.१८.६३-६४] । इस शाखा के राक्षस प्रायः दक्षिण हिंदुस्थान एवं ‘सीलोन’ में रहते थे । (३) विश्वामित्र तथा कौशिक शाखा---अगस्त्यों के साथ, विश्वामित्र एवं कौशिक शाखा के लोग भी ‘पौलस्त्य ब्रह्मराक्षसों’ में गिने जाते थे । ये लोग पौलस्त्यवंश में किस तरह प्रविष्ट हुये, यह नहीं कह सकते, किंतु ‘अगस्त्यों’ की तरह इन्हें भी ‘रात्रिराक्षस’ कहा जाता था ।
पुलस्त्य III. n.  महाभारतकालीन एक ऋषि । अर्जुने जन्ममहोत्सव में यह उपस्थित था [म.आ.११४.४२] । पराशर द्वारा किये राक्षस सत्र का विरोध करने के लिए अन्य महर्षियों के साथ, यह भी था । एवं इसने पराशर को समझाकार राक्षस सत्र बंद करने पर विवश किया [म.आ.१७२.१०-११] । इसने भीष्म को विभिन्न तीर्थों का वर्णन, एवं पृथ्वी प्रदक्षिणा का महात्म्य कथान किया था [म.व.८०-८३] । शरशय्या पर पडे हुये भेष्म से मिलने आये हुये ऋषियों में, यह भी शामिल था [म.शां.४७.६६]
पुलस्त्य IV. n.  एक धर्मशास्त्रकार । ‘वृद्धयाज्ञवल्क्य’ में प्राप्त स्मृतिकारों की नामावली में इसका निर्देश प्राप्त है । ‘शरीर शौच’ के विषय पर, इसके एक श्लोक का उद्धरण विश्वरुप ने दिया है [याज्ञ. १.१७] । श्राद्धविधि के समय, ब्राह्मण शाकाहार का, क्षत्रिय तथा शूद्र मॉंस का, एवं शूद्र शहद का उपयोग करे, ऐसा इसका मत था [याज्ञ१.२६१] । ‘मिताक्षरा’ में पुलस्त्य के दों श्लोकों का उद्धरण प्राप्त है, जिनमें ग्यारह नशा लानेवाली वस्तुओं के नाम देकर, बारहवें अत्यंत बुरे मादक पदार्थ के रुप में शराब क निर्देश किया गया है [याज्ञ. ३.२५३] । संध्या, श्राद्ध, अशौच, संन्यासधर्म, प्रायश्चित्त आदि के संबंध में, ‘पुलस्त्य स्मृति’ के अनेक श्लोकों का निर्देश अपरार्क ने किया है । ज्ञानकर्मसमुच्चय के संबंध में भी, पुलस्त्य के दो श्लोक अपरार्क ने दिये हैं [अपरार्क. याज्ञ. ३.५७] । आह्रिक तथा श्राद्ध के विषय में, पुलस्त्य के चालीस श्लोक ‘स्मृतिचंद्रिका’ में दिये गये हैं । रविवार, मंगलवार, एवं शनिवार के दिन स्नान करने से क्या पुण्यफल की प्राप्ति होती है, इसके बार में भी, पुलस्त्य का निर्देश ‘स्मृतिचंद्रिका’ में प्राप्त है । राम, परशुराम, नृसिंह तथा त्रिविक्रम आदि के जपानुष्ठान से क्या लाभ होता है, इस विषय में इसके मत उल्लेखनीय है । चंडेश्वर के ‘दानरत्नाकर’ में, मृगाजिनदान के विषय में, पुलस्त्य का एक गद्य उद्धरण लिया गया हैं । ‘पुलस्त्यस्मृति’ का रचनाकाल संभवतः ईसा के चौथी, सातवीं शताब्दी के बीच कहीं होगा) ।
पुलस्त्य V. n.  चैत्र माह में धाता नामक आदित्य के साथ घूमनेवाला एक ऋषि [भा.१२.११.३३]

पुलस्त्य     

कोंकणी (Konkani) WN | Konkani  Konkani
noun  ब्रह्माचो मानिल्लो पूत   Ex. पुलस्त्याक सप्तरुशीं मदलो एक मानतात
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
पुलस्त्यरुशी
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पुलस्त्य     

मराठी (Marathi) WN | Marathi  Marathi
noun  ब्रह्माचा मानसपुत्र   Ex. पुलस्त्य हे सप्तऋषीतील एक ऋषी आहेत.
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
पुलस्त्य ऋषी
Wordnet:
benপুলসত্য
gujપુલસ્ત્ય
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tamபுலஸ்தியர்
urdپُلستّے , پُلستّے رشی , پُلستی , پُلست , پُلسّے , وعدباہو , دتّولی

पुलस्त्य     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
पुलस्°त्य  m. m.N. of an ancient ऋषि (one of the mind-born sons of ब्रह्मा; also enumerated among the प्रजा-पतिs and seven sages, and described as a lawgiver), [AV.Pariś.] ; [Pravar.] ; [Mn.] ; [MBh.] &c. ([IW. 517 n. 1] )
N. of शिव, [Śivag.]

पुलस्त्य     

Shabda-Sagara | Sanskrit  English
पुलस्त्य  m.  (-स्त्यः) A Ṛshi so named: see the last.

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