मगध n. मगध देश में रहने वाले लोगों के लिए प्रयुक्त सामुहिक नाम । किसी समय बृहद्रथ राजा एवं उसका बार्हद्रथ वंश इन लोगों का राजा था । इन लोगों के राजाओं में निम्नलिखित प्रमुख थेः
मगध n. यद्यपि यह नाम ऋग्वेद में अप्राप्य है, अथर्व वेद में इनका निर्देश प्राप्त है । वहॉं ज्वर-व्याधि को पूर्व में अंग एवं मगध लोगों पर स्थानांतरित होने की प्रार्थना की गई
[अ.वे.५.२२.१४] । यजुर्वेद में प्राप्त पुरुषमेध के बलिप्रणियों की नामावली में ‘मागव’ लोगों का निर्देश प्राप्त है
[वा.सं.३०.५.२२] ;
[तै.ब्रा.३.४.१.१] । अथर्ववेद के व्रात्यसूक्त में व्रात्य लोगों के साथ इनका निर्देश आता है
[अ.वे.१५.२.१-४] । संभव है, एवं कीकट दोनों एक ही थे । कौषीतकि आरण्यक में मध्यम प्रातिबोधीपुत्र आदि सुविख्यात आचार्यो को ‘मगधवासिन्’ कहा गया है । इससे प्रतीत होता है कि, कभी कभी मगध में प्रतिष्ठित ब्राह्मण भी निवास करते थे । किंतु ओल्डेनबर्ग इसे अपवादात्मक घटना मानते हैं
[ओल्डेनबर्ग. ७.१४] । बौधायन तथा अन्य सूत्रों में मगधगणों का निर्देश एक जाति के रुप में प्राप्त है
[बौ.ध.१.२.१३] ;
[आ.श्रौ.२२.६.१८] । उत्तरकालीन साहित्य में, मगध देश को भ्रमणशील चारण लोगों का मूलस्थान माना गया है । शतपथ ब्राह्मण के अनुसार, इन लोगों में ब्राह्मणधर्म का प्रसार अत्यधिक कम था, ईवं इनमें अनार्य लोगों की संख्या अत्यधिक थी । संभव यही है, कि भारत के पूर्व कोने में रहनेवाले इन लोगों पर आर्यगण अपना प्रभाव नहीं प्रस्थापित कर सके थे ।