मुद्नल n. एक वैदिक राजा, जिसकी पत्नी का नाम मुद्नलानी था
[ऋ.१०.१०२] । ऋग्वेद में अन्यत्र इसकी पत्नी का नाम इंद्रसेना दिया गया है ।
मुद्नल n. यह एवं इसकी पत्नी के संबंध में जो सूक्त ऋग्वेद में प्राप्त है, उसका अर्थ अत्यंत अस्पष्ट है । षड्गुरुशिष्य के अनुसार, एक समय चोरों ने इसकी सारी गायें एवं बैल चुरा लिए, केवल एक बूढा बैल बच गया । पश्चात् उसे ही केवल गाडी को जोत कर इसने चोरों का पीछा किया, एवं एक लकडी का ‘मुद्नल’ (द्रुघण) को फेंक कर, भागनेवाले चोरों को पकड लिया
[ऋ.ग्वेद सर्वानुक्रमणी पृष्ठ १५८] । यास्क के अनुसार, इसने दो बैलों की अपेक्षा बैल एवं द्रुघण गाडी को जोत कर, चोरों का पीछा किया था
[नि.९.२३-२४] । पिशेल के अनुसार, रथ की एक दौड में अपनी पत्नी की सहायता से मुद्नल विजयी हुआ था, जिसका निर्देश ऋग्वेद के इस सूक्त किया गया है
[वेदिशे स्टूडियेन १. १२४] ।
मुद्नल II. n. (सो. अज.) एक राजा, जो भर्म्याश्व या भद्राश्व राजा का पुत्र था । यह एवं इसके वंशज पहले क्षत्रिय थे, किन्तु बाद को ब्राह्मण बन गये थे । इसका वंश इसी के नाम से ‘मुद्नल वंश’ कहलाया जाता है, एवं इसके वंश में उत्पन्न क्षत्रिय ब्राह्मण ‘मुद्नल’ अथवा ‘मौद्नल’ ब्राह्मण कहलाते है
[भा.९.२१] ;
[वायु.९९.१९८] ;
[ब्रह्मवै.३.४३.९७] ;
[मत्स्य.५०.३-६] ;
[ह.वं.१.३२.६८] ; मैत्रेय सोम देखिये ।
मुद्नल III. n. एक आचार्य, जिसका निर्देश वैदिक ग्रंथों में प्राप्त है
[अ.वे.४.२९.६] ;
[आश्व. श्रौ.१२.१२] ;
[बृहद्दे.६.४६] । इसीके वंश में निम्नलिखित आचार्य उत्पन्न हुये, जो ‘मौद्नल्य’ कहलाते हैः---नाक, शतबलाक्ष एवं लांगलायन ।
मुद्नल IV. n. वेदविद्या में पारंगत एक आचार्य, जो जनमेजय के सर्पसत्र में सदस्य था । इसे ‘मौद्गल्य’ नामांतर भी प्राप्त था
[म.व.२४६.२७] । यह कुरुक्षेत्र में शिलोञ्छवृत्ति से जीवन-निर्वाह करता था । एक समय दुर्वास ऋषि इसके आश्रम में आये, एवं उसने इसकी सत्वपरीक्षा लेनी चाही । किन्तु यह अपने सत्व से अटल रहा, जिस कारण प्रसन्न हो कर, दुर्वास ने इसे स्वर्गप्राप्ति का आशीर्वचन दिया । किन्तु स्वर्ग अशाश्वत होने के कारण, इसने स्वर्ग में जाने से इन्कार कर दिया
[म.व.२४६-२४७] । शतद्युम्न नामक राजा ने इसे एक सुवर्णमय भवन प्रदान किया था
[म.शां.२२६.३२] ;
[अनु.१३७.२१] ।
मुद्नल IX. n. एक गणेशभक्त, ब्राह्मण, जिसने संभवतः गणेशजीवन पर आधरित ‘मुद्नल पुराण’ की रचना की थी ।
मुद्नल V. n. अत्रिकुलोत्पन्न एक गोत्रकार, जो दत्त आत्रेय का पुत्र था ।
मुद्नल VI. n. अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार, मंत्रकार एवं प्रवर ।
मुद्नल VII. n. एक आचार्य, जो व्यास की ऋक्शिष्यपरंपरा में से देवमित्र ऋषि का शिष्य था । इसके नाम के लिए ‘मौद्नल’ पाठभेद प्राप्त है । मुक्तिकोपनिषद् में इसका निर्देश उपलब्ध है
[मु.उ.१.३५] । इसके नाम पर एक स्मृति भी प्राप्त है (C.C.) ।
मुद्नल VIII. n. चोल देश के राजा का पुरोहित, जिसने अपने राजा के लिए विष्णुयाग नामक यज्ञ किया था । इसके द्वारा किया गया यह याग निष्फल शाबित हुआ, जिस कारण चोल राजा ने आत्महत्या की, एवं इसने अपनी शिखा उखाड डाली । तब से मुद्नल वंश के ब्राह्मण शिखा नही रखते है
[पद्म.उ.१११] ;
[स्कंद.२.४.२७] । इसकी स्त्री का नाम भागिरथी था, जिससे इसे मौद्नल्य नामक पुत्र उत्पन्न हुआ (मौद्नल्य २. देखिये) । पद्म में ‘द्वादशीव्रत महात्म्य’ कथन करने के लिए, मुद्नल नामक एक ब्राह्मण की कथा दी गयी है
[पद्म.उ.६६] । स्कंद में क्षीरकुंड का माहात्म्य कथन करने के लिए, मुद्नल की एक कथा दी गयी है
[स्कंद.१.३.३७] । संभवतः इन सारी कथाओं में निर्दिष्ट मुद्नल एक ही व्यक्ति होगा ।