अंजना n. यह पूर्वजन्म में पुंजकस्थली नामक अप्सरा थी । शाप के कारण यह पृथ्वी पर कुंजर नामक वानर की कन्या हुई । परंतु अन्य स्थानों पर, इसे गौतम ऋषि की कन्या माना गया है
[शिव.शत.२०] । यह केसरी वानर की पत्नी थी
[भवि.प्रति.४.१३] । मतंग ऋषि के कहने से अंजनी ने पति के साथ वेंकटाचल पर जा कर, पुष्करिणीतीर्थ पर स्नान कर फे, वराह तथा वेंकटेश को नमस्कार किया । तदनंतर आकाशगंगातीर्थ पर वायु की आराधना की । १००० वर्षो तक तप होने के बाद वायु प्रगट हुआ, तथा उसने कहा ‘चैत्र माह की पौर्णिमा के दिन मैं तुम्हारी कामना पूर्ण करुंगा । तुम वरदान मांगो।’ इसने पुत्र मांगा । बाद में वायुप्रसाद से इसे मारुती (हनूमान) उत्पन्न हुआ
[स्कंद.२.४०] । इसे मार्जरा नामक सौत थी
[आप. आ. सार.१३] । इसका अंजनी तथा अंजना दोनों नामों से उल्लेख आता हैं । यह काम रुपधरा थी
[वा.रा.किं.६६] ।