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रुक्मिणी n. विदर्भाधिपति भीष्मक (हिरण्यरोमन् ) राजा की लक्ष्मी के अंश से उत्पन्न कन्या, जो श्रीकृष्ण की पटरानी थी [ह. वं. २.५९.१६] । भीष्मक राजा की कन्या होने के कारण इसे ‘भैष्मी,’ एवं विदर्मराजकन्या होने के कारण इसे ‘वैदर्भी’ नामान्तर भी प्राप्त थे [भा. १०.५३.१, ६०.१] । इसके पिता भीष्मक को हिरण्यरोमन् नामान्तर होने के कारण, इसे एवं इसके पाँच बन्धुओं को ‘रुक्मि’ (सुवर्ण) उपपद से शुरु होनेवाले नाम प्राप्त हुयें थे (भीष्मक देखिये) ।
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स्त्री. कृष्णाची पट्टराणी . रुक्मिणीसुत - पु . मदन .
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रुक्मिणी n. विवाहयोग्य होने के उपरांत, एक बार, नारद के द्वारा कृष्ण के गुण, रुप तथा सामर्थ्य का वर्णन इसने सुना, जिस कारण कृष्ण के ही साथ विवाह करने का निश्चय इसने किया [भा. १०.५२.३९] । इसके रूप एवं गुणों को सुन कर कृष्ण के मन में भी इसके प्रति प्रेम की भावना उत्पन्न हुई, तथा उन्होने इसके साथा विवाह करने की अपनी इच्छा इसके पिता भीष्मक से प्रकट की । परन्तु इसका ज्येष्ठ भ्राता रुक्मि जरासंध का अनुयायी था, एवं कंसवध के समय से कृष्ण से क्रोधित था । अतएव उसने भीष्मक से कहा, ‘रुक्मिणी की शादी कृष्ण से न कर के शिशुपाल के साथ कर दो. जो कन्या के लिए अधिक योग्य वर है’ । भीष्मक ने अपने पुत्र की इस सूचना का स्वीकार किया, एवं इसका विवाह शिशुपाल से निश्चित किया । यह वार्ता सुन कर यह अत्यधिक दुःखित हुई, एवं इसने मौका देख कर श्रीकृष्ण को एक पत्र लिखा, जो सुशील नामक एक ब्राह्मण के द्वारा इसने द्वारका भेज दिया । इस पत्र में इसने श्रीकृष्ण के प्रति अपनी प्रणयभावना स्पष्ट रूप से प्रगट कर, आगे लिखा था, ‘हमारे घर ऐसी प्रथा है कि, विवाह के एक दिन पूर्व कन्या नगर के बाहर स्थित अंबिका के दर्शन के लिए जाती है । उस समय गुप्त रूप में आ कर, आप मेरा हरण करें’ ।
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रुक्मिणी n. रुक्मिणी का यह पत्र मिलते ही, कृष्ण सुशील ब्राह्मण के सहित रथ में बैठ कर एक रात्रि में आनर्त देश से कुंडिनपुर पहुँच गये । यह देख कर, एवं परिस्थिति गंभीर जान कर, बलराम भी यादवसेना को ले कर कृष्ण के पीछे निकल पडा. । बलराम एवं कृष्ण विदर्भ देश से क्रथ तथा कुशिक देश में गयें, जहाँ के राजाओं ने उनका काफी सत्कार किया [ह. वं. २.५९] । भागवत एवं विष्णु के अनुसार, कृष्ण एवं बलराम शिशुपाल एवं रुक्मिणी के विवाहसमारोह में शामिल होने के बहाने कुंडिनपुर आयें थे [भा. १०.५३] ;[विष्णु, ५.२६] । चेदिराज शिशुपाल एवं रुक्मिणी का विवाह भली प्रकार निर्विघ्न सम्पन्न हो, इसके लिए निम्नलिखित राजा अपनी सेनाओं सहित विद्यमान थे-दंतवक्त्रपुत्र, पांडयराजपुत्र, कलिंगराज, वेणुदारि, अंशुमान, क्राथ, श्रुतधर्मा, कालिंग, गांधाराधिपति, कौशांबीराज आदि । इसके अतिरिक्त भगदत्त, शल, शाल्व, भूरिश्रवा तथा कुंतिवीर्य आदि राजा भी आयें हुए थे ।
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