अत्यराति (जानंतपि) n. एक पृथ्वीजेता । राजा न होते हुए भी, वासिष्ट सात्यहव्य ने इसे ऐन्द्र महाभिपेक किया । इस कारण इसने सारी पृथ्वी जीती । वासिष्ठ सात्यहव्य ने जब पौरोहित्य का स्मरण दिला कर उसके लिये पुरस्कार मांगा, तब इसने कहा कि, “उत्तर कुरुओं को जीतने के बाद संपूर्ण पृथ्वी का राज्य आपको दे कर मैं आपका सेनापति बनूंगा" । इस पर सात्यहव्य ने कहा, “तुमने मुझको धोखा दिया । क्यों कि मानव उत्तर कुरुओं को नहीं जीत सकते ।" तदनंतर सात्यहव्य ने इसे हतबल किया तथा शिबिराजा का पुत्र अमित्रतपन शुष्मिण शैव्य के द्वारा इसका वध करवाया
[ऐ.ब्रा.८.२३] । क्षत्रिय ने ब्राह्मण के साथ द्रोह नहीं करना चाहिये, इस लिये यह कथा बताई गई है ।