बंदिन् n. ऐंद्रद्युम्नि जनक राजा के राजसभा का वाक्पटु पंडित
[म.व.१३२,४] । राजा जनक को इसने अपना परिचय ‘वरुणपुत्र’ के रुप में दिया था
[म.व.१३४.२४] । किन्तु महाभारत में अन्यत्र, इसे सूतपुत्र भी कहा गया है
[म.व.१३४.२१] । इसने अन्य ब्राह्मणों के साथ कहोड को शास्त्रार्थ में परास्त कर, शर्त के अनुसार जल में डूबोया था
[म.व.१३२.१३] । अन्त में, अष्टावक्र ने अपने पिता कहोड की मृत्यु का बदला लेने के लिये, इसे वादविवाद में हराया था
[म.व.१३४.३-२१] । इस समय अष्टावक्र की आयु दस ग्यारह वर्षो ही की थी
[म.व.१३२.१६,१३३,१५] ; अष्टावक्र देखिये । इस प्रकार पुरानी शर्त के अनुसार, ऐंद्रद्युम्नि जनक ने इसे समुद्र में प्रवेश करने के लिये विवश किया
[म.व.१३४.३७] । महाभारत में दी गयी बंदिन् की कथा में, जनक को ऐन्द्रद्युम्नि
[म.व.१३३.४] , उग्रसेन
[म.व.१३४.१] तथा पुष्करमालिन्
[म.व.१३३.१३] , कहा गया है । विदेह की वंशावलि में जनक के ये नाम अनुपलब्ध हैं । महाभारत में इसके नाम के लिए बंदिन्
[म.व.१३२.१३,१३३.१८,१३४.२] , तथा बंदि
[म.व.१३२.४.१३३.५] , दोनों पाठभेद प्राप्त हैं ।