शक n. एक विदेशीय जातिसमूह, जो पूर्वकाल में मध्य एशिया के निवासी थे । आगे चल कर ये लोग उत्तर पश्चिम भारत में आ कर रहने लगे । ये लोग ई. पू. २ री शताब्दी में इरान के पूर्व भाग में स्थित प्रदेश में रहते थे, जिस कारण उस प्रदेश को ‘शकस्तान’ अथवा ‘सीस्तान’ कहते थे । ई. स. पू. १७४ में हूण लोगों के आक्रमण के कारण, शक लोग शकस्तान छोड़ने पर विवश हुए, एवं उत्तर पश्चिम भारत में आ कर निवास करने लगे । आगे चल कर ये सुराष्ट्र (काठियवाड) में रहने लगे ।
शक n. राजशेखर की काव्यमीमांसा में उत्तरपश्चिम भारत में निवास करनेवाले लोगों में शक लोगों का निर्देश हूण, कांबोज एवं वाह्लिक लोगों के साथ प्राप्त है । पतंजली के व्याकरण महाभाष्य में इनका निर्देश प्राप्त है
[पा. सू. ३.७५ भाष्य.] । महाभारत में इनका निर्देश वाह्लिक लोगों के साथ प्राप्त है, एवं युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के समय, भीम के द्वारा किये गये पूर्व दिग्विजय में इन्हें जीते जाने का निर्देश वहाँ प्राप्त है
[म. स. २७.२८९] । नकुल ने भी अपने पश्चिम दिग्विजय में इन्हें जीता था
[म. स. २९.१५. पाठ.] । युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में ये लोग भेंट ले कर उपस्थित हुए थे
[म. स. ५१.२६] । मध्यपुराण में इन्हें चक्षु नदी के तट पर निवास करनेवाले लोग कहा गया है, एवं तुषार, पह्लव, पारद, ऊर्ज, औरस लोगों के साथ इनका निर्देश प्राप्त है
[मत्स्य. १२१.४५-५१] । मार्कंडेय में इन्हें सिधुदेशनिवासी कहा गया है
[मार्क. ५७.३९] । ‘अलाहाबाद प्रशस्तिलेख’ से प्रतीत होता है कि, समुद्र गुप्त के द्वारा परास्त हुए विजातीय लोगों में शक मुरुंड शब्द का अर्थ ‘राजा’ अभिप्रेत है, एवं सुराष्ट्र प्रदेश में रहनेवाले शक लोगों के राजाओं की ओर इस शिलालेख में संकेत किया गया है । महाभारत में इन्हें नंदिनी गाय के गोबर से होने का निर्देश प्राप्त है
[म. आ. १६५.३५] । इस निर्देश से प्रतीत होता है कि, ये लोग महाभारतकाल में निंद्य माने जाते थे । ये लोग पहले क्षत्रिय थे, किन्तु बाद में ये शूद्र बने
[म. अनु. ३३.३१] ।
शक n. इस युद्ध में, ये लोग कांबोजराज सुदक्षिण के साथ दुर्योधन के पक्ष में शामिल थे
[म. उ. १९.२१] । सात्यकि ने इन लोगों का संहार किया था
[म. द्रो. ९५.३८] । कर्ण ने भी इन्हें परास्त किया था
[म. क. ५.१८] । भागवत के अनुसार, शक एवं यवन लोंग हैहय राजाओं के सहायक थे । इसी कारण परशुराम, सगर एवं भरत राजाओं ने इन्हें परास्त किया था, एवं इनकी अर्धस्मश्रु कर, एवं विरूप कर इन्हें छोड़ दिया था
[भा. ९.८.५] । इन लोगों को वेदाधिकार प्राप्त नहीं था, जिस कारण ये आगे चल कर म्लेच्छ बन गये थे
[भा. ४.३.४८] ।
शक II. n. (मौर्य. भविष्य) एक राजा, जो बृहद्रथ मौर्य राज का पुत्र था
[मत्स्य. २७२.२४] ।
शक III. n. अठारह राआजों का एक समूह, जो शिशुनाग राजाओं का समकालीन था
[मत्स्य. ५०.७६] ।