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कार्ष्णाजिनि

   { kārṣṇājiniḥ }
Script: Devanagari

कार्ष्णाजिनि     

कार्ष्णाजिनि n.  एक प्राचीन आचार्य [जै. गृ. ८. ३. १७, ६. ७. ३५] ;[ब्रह्मसूत्र.३.१.९] ;[खा. श्रौ. १. ६. २३] । इसने कार्ष्णाजिनस्मृति नामक ग्रंथ रचा । पैठीनसि, हेमाद्रि, माधवाचार्य आदि ग्रंथकार इस स्मृति का उल्लेख करते हैं (C.C.) मिताक्षरा [याज्ञ.३.२६५] , अपरार्क, स्मृतिचंद्रिका तथा श्राद्धविषयक अन्य ग्रंथों में इसका उल्लेख है । अपरार्क में [अपरार्क. १३८] । इसका एक श्लोक दिया है । उसमें ब्रह्मदेव के सनक, सनंदन, सनातन, कपिल, आसुरि, ओढ तथा पंचशिख इन सात पुत्रों का उल्लेख है । राशियो के चिह्र के संबंध मे इसका एक श्लोक अपरार्क में दिया है [अपरार्क. ४२०]

कार्ष्णाजिनि     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
कार्ष्णाजिनि  m. m. ([Pāṇ. 2-4, 68] ; [Kāś.] ) ‘a son or descendant of कृष्णाजिन’, N. of a teacher, KātyŚr. i, 6, 23
of a philosopher, [Jaim.] ; [Bādar.]
of an author on law.

कार्ष्णाजिनि     

कार्ष्णाजिनिः [kārṣṇājiniḥ]  N. N. of an old authority quoted by Jaimini; [MS.6.7.35.]

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