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दैत्य n. एक मानवजाति । कश्यप एवं दिती की संतती ‘दैत्य’ कहलाती थी । उस वंश के लोगों से ही यह मानवजाति उत्पन्न हो गयी होगी । दैत्यों का सुप्रसिद्ध राजा वृषपर्वन् था । उसकी कन्या शर्मिष्ठा पुरु राजा ययाति को विवाह में दी गयी थी । उससे आगे पुरु आदि वंश निर्माण हुएँ । दैत्यों का पुरोहित शुक्र था । उसके पास मृत को जीवित करनेवाली ‘संजीवनी विद्या’थी । वह विद्या देवों ने, अपने पुरोहित बृहस्पति के पुत्र कच के द्वारा शुक्र से संपादित की । शुक्र के वंश में से शंड, मर्क, त्वष्टु, वरुत्रि, त्त्वष्ट, त्रिशिरस्, विश्वकर्मन वृत्र, वरुचिन्, ये पुरुष प्रसिद्ध हैं । ये सारे दैत्यों के पुरोहित एवं इंद्र के शत्रु थे । उनमें से शंड एवं मर्क’ दैत्यों को छोड कर देवों के पक्ष में जा मिले । उस कारण शुक्र ने उनको शाप दिया । आगे चल कर, दानव, दैत्य, राक्षस, नाग, दस्यु आदि शब्द वंशवाचक न रह कर गुणवाचक हो गये ।
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