नमुचि n. इंद्र का शत्रु एक राक्षस । समुद्र के ‘फेन’ (फेंस) के द्वारा इंद्र ने इसका वध किया । पौराणिक नृसिंह अवतार की कल्पना का मूल, इंद्र एवं नमुचि के युद्ध में ही है
[ऋ.८.१४.१३] । समुद्र के फेंस के द्वारा इसकी मृत्यु होने का कथाभाग, कुछ रुपकात्मक प्रतीत होता है । पं. सातवलेकरजी के मत में, यह समुद्र के फेंस से ठीक होनेवाला कोई रोग होगा । महाभारत में, नमुचि को कश्यप एवं दनु का पुत्र कहा गया है
[म.आ.५९.२२] । हिरण्यकशिपु ने देवों पर आक्रमण किया एवं उनका पराभव पर दिया । इस युद्ध में, नमुचि हिरण्यकशिपु राक्षस का सेनापति था
[म.स.परि.१. क्र.२१ पंक्ति. ३५८] । यह वृत्र का अनुयायी था
[भा.६.१०.१९] । स्वर्भानुकन्या सुप्रभा इसकी भार्या थी
[भा.६.६.३२] । एक बार भयभीत हो कर, यह सूर्यकिरण में प्रविष्ट हुआ तथा इसने इन्द्र से मैत्री की । उसे समय इंद्र ने इससे बहुत सारें विषयों पर चर्चा की । संकट के कारण उत्पन्न होनेवाला दुख भगवत्-चिंतन से किस प्रकार दूर हो जाता है, इस विषय पर दोनों का संभाषण हुआ
[म.शां.२१९] । फिर इसके वाक्पटुत्व एवं विद्वत्ता के कारण, प्रसन्न हो कर इंद्र ने इसे वरप्रदान किया, ‘तुम आर्द्र अथवा सूखें किसी भी शस्त्र से मृत न होगे’। परंतु बाद में इंद्र ने सागरजल के फेन से इसका शिरच्छेद किया, तब उसके केवल सिर ने ही इंद्र का पीछा किया
[म.श.४२.३२] । पश्चात् ब्रह्मदेव के कहने पर, नमुचि ने जिस तीर्थ में गुप्त रुप से स्नान किया था, उसी ‘अरुणासंगम’ नामक तीर्थ में इंद्र ने स्नान किया । फिर इंद्र के पीछे पीछे नमुचि का सिर भी उस तीर्थ में आ गिरा । उस स्नान के कारण, नमुचि को समस्तक सद्नति मिली, एवं इच्छित अक्षय लोक उसे प्राप्त हुआ
[म.शं.४२.२९-३२] । वामनावतार में, वामन स्वरुप विष्णु ने बलि के साथ नमुचि को भी पाताल में गाड रखा था
[म.स.परि.१.क्र.२१. पंक्ति.३५८-३५९] ।
नमुचि II. n. हिरण्याक्ष का सेनापति । इंद्र को मूर्च्छित कर इसने ऐरावत को नीचे गिराया, तथा माया से अनेक जंतु उत्पन्न किये । वे जंतु विष्णु ने अपने चक्र से नष्ट किये । पश्चात् इंद्र ने वज्र से इसका वध किया
[पद्म. सृ.६५] ।
नमुचि III. n. हिरण्याक्ष एक और सेनापति । इंद्र पर इसने पॉंच बाण छोडे । परंतु इंद्र ने उन्हें बीच में ही तोड दिया । बाद में इसने अपनी माया से अंधकार उत्पन्न किया । परंतु अपने एक अस्त्र के द्वारा, इंद्र ने उस अंधकार को नष्ट किया । बाद में इंद्र के समीप आ कर, इसने उसके ऐरावत हाथी के दॉंत पकडे एवं इंद्र को नीचे गिरा दिया । परंतु उस काम में उसे मग्न देख कर, इंद्र ने अपने खड्ग से इसका सिर काट दिया
[पद्म. सृ.६९] ।
नमुचि IV. n. तेरह सैंहिकियों में से एक । विप्रचित्ति एवं सिंहिका का यह पुत्र था । परशुराम ने इसका वध किया
[पद्म.सृ.६७] ।