मूक n. हिरण्यकशिपु के वंश का एक राक्षस, जो सुंद एवं ताटका का पुत्र था ।
मूक II. n. तक्षक वंश का एक नाग, जो जनमेजय के सर्पसत्र में दग्ध हुआ था
[म.आ.५२.८] ।
मूक III. n. एक चाण्डाल, जो अत्यंत मातृभक्त एवं पितृभक्त था । नरोत्तम नामक एक ब्राह्मण इसके पास उपदेशप्राप्ति के लिए आया था
[पद्म.सृ.५०] ; नरोत्तम देखिये ।
मूक IV. n. एक दानव, जो इंद्रकील पर्वत पर रहता था । उस पर्वत पर तपस्या करने के लिए आये अर्जुन को, इसने वराहरुप धारण कर काफी त्रस्त किया था, जिसे कारण अर्जुन ने इसका वध किया था
[म.व.४०.७-३३] । शिवपुराण के अनुसार, इसी के ही कारण किरातरुपधारी शंकर एवं अर्जुन का युद्ध हुआ था । एक समय, यह वराह रुप धारण कर घुमता था, जब किरात एवं अर्जुन दोनों ने ही इसे बाण मार कर विद्ध किया । तदोपरान्त इस वराह का वध किसने किया, इस संबंध में किरात एवं अर्जुन के बीच वाद-विवाद हुआ, जिस कारण सुविख्यात ‘किरातर्जुननीय’ युद्ध हुआ
[शिव.शत.४१] ।