मैंद n. राम के पक्ष एक वानर, जो सुषेण वानर के दो पुत्रों में से ज्येष्ठ था । इसके कनिष्ठ बन्धु का नाम द्विविद था । ये दोनों भाई अंगद वानर के मामा थे
[भा.१०.६.२] । वालिवध के पश्चात्, सुग्रीव ने सीता के शोधार्थ जो वानर गंधमादन पर्वत पर भेजे थे, उनमें यह भी शामिल था
[वा.रा.कि.४१.७] । राम-रावण युद्ध में इसने अत्यधिक पराक्रम दिखाया था । इसने एक घूँसा मार कर, वज्रमुष्टि नामक असुर का वध किया
[वा.रा.यु.४३.२७] । इसने यूपाक्ष नामक असुर का भी वध किया था
[वा.रा.यु.७६.३४] ।
मैंद n. इन्द्रजित के साथ हुए मायावी युद्ध में राम एवं लक्ष्मण मूर्च्छित हुए । उस समय, भिभीषण ने कुबेर से प्राप्त दैवी उदक सारे रामपक्षीय वानरों को ऑखों में लगाने के लिए दिया, जिसका उपयोग करते ही गुप्त रुप से लडाई करनेवाले इन्द्रजित के सैन्य के सारे असुर वानरसैन्य को साफ दिखाई देने लगे । इस उदक को अपनी ऑखों को लगा कर, इसने भी काफी पराक्रम दिखाया था
[म.व.२७३.१-१३] । यह एवं इसका भाई द्विविद ने किष्किंधा नामक गुफा के समीप सहदेव से युद्ध किया था, जो दक्षिणदिग्विजय के लिए उस नगरी में आया था । आगे चलर कर, इन्होंने सहदेव को रत्न आदि करभार प्रदान किया, एवं उसे विदा किया
[म.स.परि.१.क्र.१३ पंक्ति.१५-२०] ।