राहु n. एक दानव, जो अष्टग्रहों में से एक पापग्रह माना जाता है । सूर्य को ग्रसित करनेवाल दानव के रूप में इसका निर्देश अथर्ववेद में प्राप्त है
[अ. वे. १९.९-१०] । पुराणों में इसे कश्यप एवं दनु का पुत्र बताया गया है । अन्य ग्रंथों में से इसे कश्यप एवं सिंहिका का पुत्र कहा गया है
[म. आ. ५९.३०] ;
[विष्णुधर्म. १.१०६] ;
[पद्म. सृ. ४०] । भागवत एवं ब्रह्मांड में इसे विप्रचित्ति एवं सिंहिका का पुत्र कहा गया है
[भा. ६.६.३७, १८.१३] ;
[ब्रह्मांड.३.६.१८.२०] । स्वर्भानु नामक एक आसुर प्राणिका निर्देश ऋग्वेद में प्राप्त है, जिसे सूर्य के प्रकाश को रोंकनेवाला माना गया है
[ऋ. ५.४०] ; स्वर्भानु देखिये । बैदिक साहित्य में निर्दिष्ट स्वर्भानु का स्थान ही वैदिकोत्तर पुराणकथाशास्त्र में राहु के द्वारा लिया गया है, जिस कारण इसे ‘चंद्रार्कप्रंदन’ (चंद्र एवं सूर्य को जीतनेवाला) कहा गया है
[भा. ५.२३.७] । कई पुराणों में इसका नामान्तर स्वर्भानु बताया गया है
[ब्रह्मांड. ३.६.२३] । शिशुमार चक्र के गले में इसका निवासस्थान था ।
राहु n. समुद्रमंथन के उपरान्त देव-गण अमृतपान करने लगा, जब यह दानव भी प्रच्छन्न रूप धारण कर अमृतपान में शामिल हुआ । अमृत इसके गलें तक ही पहुँच पाया था कि, सूर्यचंद्र ने यह दैत्य होने की सूचना विष्णु को दी । विष्णु ने तत्काल इसका शिरच्छेद किया, जिससे इसका सिर बदन से अलग हो कर धरती पर जा गिरा
[म. आ. १७.४.६] । पश्वात् इसके सिर से केतु का निर्माण हुआ. एवं यह सिरविरहित अवस्था में घूमने लगा । तदोपरान्त विष्णु की डर से ये दोनों भाग गयें । किन्तु सूर्य एवं चंद्रमा के प्रति राहु-केतुका द्वेष कम न हुआ । इसी कारण, ये आज भी उन्हे ग्रासते रहते हैं, जिसे क्रमश: सूर्यग्रहण एवं चंद्रग्रहण कहते हैं
[पद्म. ब्र. १०] । राहु ग्रह का आकार वृत्ताकार माना जाता है । इसका व्यास बारह हजार योजन, तथा दायरा बयालिस हजार योजन है । जिस समय शंकर एवं जालंधर का युद्ध था, उस समय यह जालंधर की ओर से राजदूत बन कर शंकर के पास गया था
[पद्म. उ. १०] । किन्तु वहाँ शंकर की क्रोधाग्नी से डर कर यह भाग गया
[पद्म. उ. १९] । इस पापग्रह के प्रभाव की जानकारी संजय ने धृतराष्ट्र को बताई थी
[म. स. १३.३९-४१] । ब्रह्मा की सभा में उपस्थित ग्रहों में भी इसका नाम प्राप्त है । इसकी कन्या का नाम सुप्रभा था
[पद्म. सृ. ६] . जिसे भागवत में स्वर्भानुपुत्री कहा गया है । कई अन्य पुराणों में इसकी कन्या का नाम प्रभा दिया गया है
[ब्रह्मांड. ३.६२३] ;
[विष्णु. १.२१] ।