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विजिताश्र्व

   
Script: Devanagari

विजिताश्र्व     

विजिताश्र्व (अंतर्धान) n.  एक राजा, जो पृथु वैन्य राजा के पाँच में से एक था । इसकी माता का नाम अर्चि था । सौ अश्र्वमेध का निश्र्चय कर, इसने निन्यानवें अश्र्वमेध यज्ञ पूर्ण किये। इस पर इंद्र को डर उत्पन्न हुआ कि, यह शायद इंद्रपद ले लगा। अतएव उसने इसका अश्र्वमेधीय अश्र्व चुरा लिया। उस समय इंद्र से किये युद्ध में इसने काफ़ी पराक्रम दर्शा कर, अपना अश्र्व पुनः प्राप्त किया, जिस कारण इसे ‘विजिताश्र्व’ नाम प्राप्त हुआ। इसी समय इंद्र ने प्रसन्न हो कर इसे इंतर्धान होने की विद्या सिखायी, इस लिए इसे लिए इसे ‘अंतर्धान’ नाम प्राप्त हुआ। यज्ञकर्म में किये जानेवाले पशुहवन का यह पुरस्कर्ता था, जिस कारण इसने अपने आयुष्य में अनेकानेक यज्ञ किये।
विजिताश्र्व (अंतर्धान) n.  इसे शिखण्डिनी एवं नभस्वती नामक दो पत्नीयाँ थी । उनमें से शिखव्डिनी से इसे पावक, पवमान एवं शुचि नामक तीन पुत्र उत्पन्न हुए। नभस्वती से इसे हविर्धान नामक पुत्र उत्पन्न हुआ [भा. ४.१८-१९]

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