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पु. १ पळस वगैरे पानांचे , पातळ पदार्थ ठेवण्याचे , चुया टोंचून केलेले एक पात्र . २ लांकूड , दगड , लोखंड इ० कोरुन केलेले , गुरांना पाणी पाजण्याचे किंवा नदी तरुन जाण्याचे पात्र ; डोणी . ३ ( धान्य इ० ) मोजण्याचे माप ; अर्धा मण . जोडी सात्मजदार द्रोणामित व्रीहि पंधरा दिवसी । - मोवन ८ . ३ . ४ द्रोणाचार्य ; महाभारतांतील कुरुगुरु . [ सं . ] हातापायाचे द्रोण होणे - हातपाय आंखडणे . द्रोणकाक - पु . १ गिधाड . २ डोमकावळा .
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०माशी स्त्री. साधी माशी ( द्रोणावर बसते म्हणून ).
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द्रोण n. भारतीय युद्धकालीन सुविख्यात युद्धशास्त्रज्ञ, कौरव एवं पांडवों का गुरु, एवं धर्मज्ञ आचार्य । आंगिरस् गोत्रीय भरद्वाज ऋषि का यह पुत्र था । उस कारण, इसे ‘द्रोण आंगिरस’ भी कहते थे [म.उ.१४९.१७] । वसिष्ठ गोत्रीय शुक्राचार्य, एवं असित देवल, धौय, याज, काश्यप आदि ऋषि इसके समकालीन थे । आंगिरस गोत्रीय कृपाचार्य की बहन कृपी इसकी पत्नी थी । उससे इसे अश्वत्थामन् नामक पुत्र हुआ था [म.आ.१२१.१-१ १२] ;[विष्णु. ४.१९.१८] । द्रोण के पिता भरद्वाज ऋषि का आश्रम गंगाद्वार पर था [म.आ.१२१.१३३१, १२३.६८] । एक दिन भरद्वाज मुनि गंगा नदी में स्नान करने के लिये गये थे । वहॉं घृताची नामक अप्सरा पहले से ही स्नान कर के, वस्त्र बदल रही थी । उसका वस्त्र खिसक गया था । उस अवस्था में उसे देख कर, भरद्वाज का वीर्य स्खलित हो गया । भरद्वाज ने उस वीर्य को उठा कर, एक द्रोण में रखा दिया । उसी द्रोण से इसका जन्म हुआ । उस कारण इसे ‘द्रोण’ नाम प्राप्त हुआ । द्रोणकलश में जन्म होने के कारण, इसे ‘अयोनिसंभव’ [म.आ.५७.८९, १२९.५,१५४.५] ,‘कुंभयोनि’[म.द्रो.१३२.२२] , ‘कुंभसंभव’ [म.द्रो.१३२.३०] । आदि नाम प्राप्त हुएँ थे । इसके सिवा, शोणाश्व, रुक्मरथ, तथा भारद्वाज आदि नामांतर से भी इसका उल्लेख पाया जाता है [म.आ.१२२.१] । बृहस्पति एवं नारद के अंश से द्रोण का जन्म हुआ था, ऐसे निर्देश भी विभिन्न ग्रंथों में प्राप्त है [म.आ.६१.६३] ;[पद्म. सृ.७६] ।
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०वत न. द्रोणाच्या उपयोगी पान . द्रोणी स्त्री . डोणी पहा .
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