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राज्यवर्धन n. (सू. दिष्ट.) वैशाली देश का एक राजा, जो दम राजा का पुत्र था । दक्षिणनरेश विदूरथ राजा की कन्या इसकी पत्नी थी । यह बडा तपस्वी एवं त्रिकालदर्शी राजा था । अपनी मृत्यु निकट आयी है यह बात ज्ञात होने पर, यह वार्ता इसने अपनी प्रजा कों सुनायी, एवं तपस्या के लिए यह वन चला गया । पश्चात् इसकी प्रजा एवं अमात्यों ने सूर्य की आराधना की, एवं उससे वर प्राप्त किया, ‘तुम्हारा राज्यवर्धन राजा दस हजार वर्षों तक रोगरहित, जितशत्रु, घनधान्यसंपन्न एवं स्थिरयौवन अवस्था में जीवित रहेगा’ । तदोपरान्त इसकी प्रजा ने वन में जा कर इसे सूर्य के द्वारा प्राप्त वर की सुवार्ता कह सुनाई । किन्तु यह वार्ता सुन कर इसे सुख के बदले दुख ही अधिक हुआ । यह कहने लगा, ‘इतने वर्षों तक जीवित रहने पर, मुझे पुत्र-पौत्रादि तथा प्रजा की मृत्यु देखनी पडेगी, एवं मेरा सारा जीवित दुःखमय हो जाएगा’। इस दुःख से छुटकारा पाने के लिये इसने स्वयं अपनी प्रजा पौत्र एवं भृत्य आदि के लिए भी दस हजार वर्षों की आयु का वरदान प्राप्त किया [मार्कं. १०६-१०७] ।
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राज्य—वर्धन m. m.
N. of a king (son of दम), [Pur.]
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of another
k° (son of प्रताप-शील or प्रभाकर-वर्धन), [Vās.,] Introd.
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