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मत्स्यावतार

   
Script: Devanagari

मत्स्यावतार     

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See : मत्स्य अवतार

मत्स्यावतार     

मत्स्यावतार n.  पृथ्वी पर मत्स्यावतार किस प्रकार हुआ, इसकी सब से प्राचीनतम प्रमाणित कथा शतपथ ब्राह्मण में प्राप्त है । एक बार, आदिपुरुष वैवस्वत मनु प्रातःकाल के समय तर्पण कर रहा था, कि अर्ध्य देते समय उसकी अंजलि में एक ‘मत्स्य’ आ गया । ‘मत्स्य’ ने राजा मनु से सृष्टिसंहार के आगमन की सूचना से अवगत कराते हुए आश्वासन दिया कि, आपत्ति के पूर्व ही यह मनु को सुरक्षित रुप से उत्तरगिरि पर्वत पर पहुँचा देगा, जहॉं प्रलय के प्रभाव की कोई सम्भावना नहीं । इसके साथ ही इसने यह भी प्रार्थना की कि, जबतक यह बडा न हो तब तक मनु इसकी रक्षा करें । यह ‘मत्स्य’ जब बडा हुआ, तब मनु ने उसे महासागर में छोड दिया । पृथ्वी पर जलप्रलय होने पर समस्त प्राणिमात्र बह गये । एकाएक मनु के द्वाराबचया हुआ मत्स्य प्रकट हुआ, एवं इसने मनु को नौका में बैठाकर उसे हिमालय पर्वत की उत्तरगिरे शिखर पर सुरक्षित पहुँचा दिया । आगे चलकर मनु ने अपनी पत्नी इडा के द्वारा नयी मानव जाति का निर्माण किया [श.ब्रा.१.८.१.१] ; मनु वैवस्वत देखिये ।
मत्स्यावतार n.  पद्म में मत्स्यावतार की यह कथा कुछ अलग ढंग से दी गयी है । कश्यप ऋषि को दिति नामक पत्नी से उत्पन्न मकर नामक दैत्य ने ब्रह्मा को धोखा देकर वेदों का हरण किया, एवं इन वेदों को लेकर वह पाताल में भाग गया । वेदों के हरण हो जाने के कारण, सारे विश्व में अनाचार फैलने लगा, जिससे पीडित होकर ब्रह्मा ने विष्णु की शरण में आकर उसे वेदों की रक्षा की प्रार्थना की । तब विष्णु ने मत्स्य का अवतार लेकर मकरासुर का वध किया एवं उससे वेद लेकर ब्रह्मा को दिये । आगे चलकर एक बार फिर मकर दैत्य ने वेदों के हरण किया, जिससे विष्णु को मत्स्य का अवतार लेकर पुनः वेदों का संरक्षण करना पडा [पद्म.उ.२३०]
मत्स्यावतार n.  पच्चीसबें कल्प के अन्त में ब्रह्मदेव की रात्रि का आरम्भ हुआ । जिस समय वह नींद में था, उसी समय प्रलय हुआ, जिससे स्वर्ग, पृथ्वी आदि लोग डूब गये । निद्रावत्स्था में ब्रह्मदेव के मुख से वेद नीचे गिरे, तथा हयग्रीव नामक दैत्य ने उनका हरण किया । इसीसे हयग्रीव नामक दैत्य ने उनका हरण किया । इसीसे हयग्रीव नामक दैत्य क अनाश करने के लिए भगवान् विष्णु ने सूक्ष्म मत्स्य का रुप धारण किया, तथा वह कृपमाला नदी में उचित समय के प्रतीक्षा करने लगा । इसी नदी के किनारे वैवस्वत मनु तप कर रहा था । एक दिन तर्पण करते समय उसकी अंजलि में एक छोटासा मत्स्य आया । वह इसे पानी मे छोडने लगा कि, मत्स्य ने उससे अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना की । तब दयालु मनु ने इसे कलश में रक्खा । यह मत्स्य उत्तरोत्तर बढता रहा, अन्त में मनु ने इसे सरोवर में छोड दिया । तथापि इसका बढना बन्द न हुअ अ। त्रस्त होकर मनु इसे समुद्र में छोडने लगा, तब इसने उससे प्रार्थना की, ‘मुझे वहॉं अन्य जलचर प्राणी खा डालेंगे, अतएव तुम मुझे वहॉं न छोड कर मेरी रक्षा करो’। तब मनु ने आश्चर्यचकित होकर इससे कहा, ‘तुम्हारे समान सामर्थ्यवान् जलचर मैंने आजतक न देखा है, तथा न सुना है ।तुम एक दिन में सऔ योजन लंबेचौडे हो गये हो, अवश्य ही तुम कोई अपूर्व प्राणी हो । तुम परमेश्वर हो, तथ तुमने जनकल्याण हेतु ही जन्म लिया होगा’। यह सुनकर मत्स्य ने कहा, ‘आज से सातवें दिन सर्वत्र प्रलय होगी, तथा सारा संसार जलमग्न हो जायेगा । इसलिए नौका में सप्तर्षि, दवाइयॉं, बीज इत्यादि लेकर बैठ जाओ । अगर नौका हिलने लगे तो वासुकि की रस्सी बनाकर मेरे सींग में बॉंध दो’। प्रलय आने पर मनु ने वैसा ही किउया, एवं मत्स्य की सहायता के द्वार वह प्रलय से बचाया गया [मत्स्य.१-२,२९०] । भागवत में मत्स्यद्वारा बचाये गये राजा का नाम वैवस्वत मनु न देकर दक्षिण देशाधिपति सत्यव्रत दिया गया है । उस ग्रन्थ के अनुसार, प्रलय के पश्चात् मत्स्यावतारी विष्णु ने सत्यव्रत राजा को मन्वन्तराधिपति प्रजापति बनने का आशीर्वाद दिया, एवं उसे मत्स्यपुराण संहिता का उपदेश भी दिया [भा.१.३.१५, ८.२४] ;[मत्स्य.१.३३-३४] । उस आशीर्वाद के अनुसार, सत्यव्रत राजा वैवस्वत मन्वनंतर में से कृतयुग का मनु बन गया । विष्णुधर्म के अनुसार, प्रलय के पश्चात् केवल सप्तर्षि जीवित रहे, जिन्हे मत्स्यरुपधारी विष्णु ने श्रुंगी बनकर हिमालय के शिखर पर पहुँचा दिया, एवं उनकी जान बचायी [विष्णुधर्म.१.७७. म.व.१८५]
मत्स्यावतार n.  मनु का निवासस्थान समुद्र के किनारे था । आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टि से, समुद्र में बाढ आने के पूर्व समुद्र की सारी मछलियों तट की ओर भाग क्र किनारे आ लगती है, क्योंकि बाढ के समय उन्हे गन्दे जल में स्वच्छ प्राण वायु नहीं प्राप्त हो पाती । सम्भव यही है कि, पृथ्वी में जलप्लावन के पूर्व समुद्र से सारी मछलियों तट की ओर भगने लगी हों, तथा उनमें से एक मछली मनु के सन्ध्या करते समय अंजलि में आ गयी हो । इससे ही मनु ने समझ लिया होगा कि, बहुत बढी बाढ आनेवाली है,म क्यों कि सारी मछलियॉं किनारे आ लगी है । इस संकेत से ही पूर्वतैयारी करके उसने अपने को जलप्लावन से बचाया हो । इसी कारण प्रलयोपरांत मनु को वह मछली साक्षात् विष्णु प्रतीत हुयी हो । बहुत सम्भव है कि, मत्स्यावतार की कल्पना इसी से की गयी हो ।
मत्स्यावतार II. n.  मत्स्यदेश में रहनेवाले लोगों के लिये प्रयुक्त सामुहिक नाम । ऋग्वेद में इनका निर्देश सुदास राजा के शत्रुओं के रुप में किया गया है [ऋ.७.१८.६] । शतपथ ब्राह्मण में ध्वसन् द्वैतवन राजा को मत्स्य लोगों का राजा (मात्स्य) कहा गया है [श.ब्रा.१३.५.४.९] । ब्राह्मण ग्रंथों में वंश एवं शाल्व लोगो के साथ इनका निर्देश प्राप्त है [कौ.ब्रा.४.१. श.ब्रा.१.२.९] । मनु के अनुसार, मत्स्य, कुरुक्षेत्र, पंचाल, शूरसेनक आदि देशों को ‘ब्रह्मर्षि देश’ सामुहिक नाम प्राप्त था [मनु.२.१९,७.१९३] । महाभारत में इन लोगों का एवं इनके देश का निर्देश अनेक बार आता है, जहॉं इन्हे धर्मशील एवं सत्यवादी कहा गया है [म.क.५.१८] । पाण्डवों के वनवासकाल में, वारणावत से एकचक्रा नगरी को जाते समय पाण्डव इस देश में कुछ काल तक ठहरे था [म.आ.१४४.२] । इस देश के निवासे जरासंध के भय से अपना देश छोड कर दक्षिण भारत की ओर गये थे [म.स.१३.२७] । भीमसेन ने अपनी पूर्वदिग्विजय के समय इन लोगों को जीता था [म.स.२७.८] । सहदेव ने भी अपनी दक्षिण दिग्विजय के सम्य मत्स्य एवं अपरमत्स्य लोगों को जीता था [म.स.२८.२-४] । अपने अज्ञातवास के समय पाण्डवों ने इस देश में निवास किया था । उस समय इनलोगों का राजा विराट था [म.वि.१.१३-१६] । भारतीय युद्ध में में एक अक्षौहिनी सेना लेकर मत्स्यराज विराट युधिष्ठिर की सहाय्यता के लिए आया था [म.उ.१९.१२] । इन लोगों के अनेक वीरों का भीष्म एवं द्रोण ने वध कीया था [म.भी.४५.५४] ;[द्रो.१६४.८५] । बचे हुए वीरों का संहार अश्वत्थामा ने भारतीय युद्ध के अंतिम दिन किया था [म.सौ.८.१५०]
मत्स्यावतार II. n.  संभव है कि, आधुनिक भरतपूर अल्वार, धौलपूर, एवं करौली प्रदेश मिलकर प्राचीन मत्स्य देश बना होगा। १९४८ इ.स.में भारत सरकार ने ‘मत्स्ययुनियन’ नामक संघराज्य की स्थापना की थी, जिसमें यही प्रदेश शामिल थे । आगे चलकर मत्स्य युनियन का सारा प्रदेश राजधानी विराटनगरी में थी, जो जयपूर के पास बैराट नाम से आज भी प्रसिद्ध है ।
मत्स्यावतार III. n.  (सो. ऋक्ष.) एक राजा, जो उपरिचर वसु को एक मत्स्यी के द्वारा उत्पन्न जुडवे संतानों में से एक था । इसे मत्स्यगंधा नामक जुडवी बहन भी थी [म.आ.५७.५१]
मत्स्यावतार IV. n.  एक आचार्य, जो वायु के अनुसार व्यास की ऋक्शिष्यपरंपरा में से देवमित्र नामक आचार्य का शिष्य था । इसके नाम के लिए ‘वास्य’ पाठभेद प्राप्त है ।

मत्स्यावतार     

कोंकणी (Konkani) WN | Konkani  Konkani
noun  विष्णुचो पयलो अवतार   Ex. विष्णून पृथ्वीक बुडपा पसून वाटावपा खातीर मत्स्यावतार घेतलो / विष्णून एक फावट मत्स्य रूप धारण केल्लें
HOLO MEMBER COLLECTION:
दशावतार
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
मत्स्य अवतार
Wordnet:
benমত্স অবতার
gujમત્સ્યાવતાર
hinमत्स्य अवतार
kanಮತ್ಸೆ ಅವತಾರ
kasمتسے اوتار
malമത്സ്യാവതാരം
marमत्स्यावतार
oriମତ୍ସ୍ୟ ଅବତାର
panਮਤਸਯ ਅਵਤਾਰ
sanमत्स्यावतारः
tamமீன் அவதாரம்
telమత్స్యావతారం
urdمَتسیَہ اوتار , مَتَسیَہ

मत्स्यावतार     

A dictionary, Marathi and English | Marathi  English
The first of the ten incarnations of Vishn̤u,--that of the fish.

मत्स्यावतार     

मराठी (Marathi) WN | Marathi  Marathi
noun  दशावतारांपैकी विष्णूचा पहिला अवतार   Ex. मत्स्यावतार घेऊन विष्णूने शंकासुराने चोरलेले वेद परत मिळवले
HOLO MEMBER COLLECTION:
दशावतार
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
benমত্স অবতার
gujમત્સ્યાવતાર
hinमत्स्य अवतार
kanಮತ್ಸೆ ಅವತಾರ
kasمتسے اوتار
kokमत्स्यावतार
malമത്സ്യാവതാരം
oriମତ୍ସ୍ୟ ଅବତାର
panਮਤਸਯ ਅਵਤਾਰ
sanमत्स्यावतारः
tamமீன் அவதாரம்
telమత్స్యావతారం
urdمَتسیَہ اوتار , مَتَسیَہ

मत्स्यावतार     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
मत्स्यावतार  m. m. ‘fish-descent’, N. of the first of the 10 incarnations of विष्णु (who became a fish to save the 7th मनु from the universal deluge; the conversation between them forms the मत्स्य-पुराणq.v.; in [MBh. i.] the fish is represented as an incarnation of ब्रह्मा; cf.[IW. 327, 397 &c.] )

मत्स्यावतार     

Shabda-Sagara | Sanskrit  English
मत्स्यावतार  m.  (-रः) VISHṆU in his first Avatāra; when the seventh Manu was reigning, the whole earth was destroyed by a flood and all living beings perished except the reigning Manu and the seven Rishis who were saved by VISHṆU in the form of a fish.

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