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श्र्वेत n. पाताल में रहनेवाला एक नाग, जो कश्यप एवं कद्रू के पुत्रों में से एक था [भा. ५.२४.२१] । श्र्वेत II. n. एक शिवावतार, जो सातवें वाराह कल्पान्तर्गत वैवस्वत मन्वन्तर केप्रथम युगचक्र में उत्पन्न हुआ था । यह अवतार प्रभु व्यास के समकालीन माना जाता है । हिमालय के छागल नामक शिखर में यह अवतीर्ण हुआ था । इसके शिखा धारण करनेवाले निम्नलिखित चार शिष्य थेः-- १. श्र्वेत; २. श्र्वेतशिख; ३. श्र्वेताश्र्व; ४. श्र्वेतलोहित [शिव. शत. ४] । श्र्वेत III. n. एक शिवावतार, जो सातवें वाराह कल्पान्तर्गत वैवस्वत मन्वन्तर के तेइसवें युगचक्र में उत्पन्न हुआ था । यह कालंजर पर्वत पर अवतीर्ण हुआ था । इसके निम्नलिखित चार शिष्य थेः-- १. उशिक; २. बृहदश्र्व; ३. देवल; ४. कवि [शिव. शत. ५.] । श्र्वेत IV. n. श्र्वेत नामक शिवावतार का शिष्य था (श्र्वेत. २. देखिये) । श्र्वेत IX. n. मत्स्यनरेश विराट राजा के पुत्रों में से एक । कोसलराजकन्या सुरथा इसकी माता थी । यह अत्यंत पराक्रमी था, एवं इसने भारतीय युद्ध में शल्य एवं भीष्म से युद्ध किया था । अन्त में यह भीष्म के द्वारा मारा गया [म. भी. परि. १. क्र. ११८] । श्र्वेत V. n. एक दिग्गज, जो क्रोधवशाकन्या श्र्वेता का पुत्र था । श्र्वेत VI. n. एक असुर, जो विप्रचित्ति असुर का पुत्र था । इसने तारकासुर-युद्ध में भाग लिया था [मत्स्य. १७७.७] । श्र्वेत VII. n. एक यक्ष, जो मणिवर एवं देवजनी के पुत्रों में से एक था [वायु. ६९.१६९] । श्र्वेत VIII. n. एक राजा, जो वपुष्मत् राजा के पुत्रों में से एक था । इसके ही नाम से इसके देश को ‘श्र्वेतदेश’ नाम प्राप्त हुआ था [वायु. ३३.२८] । श्र्वेत X. n. ०. एक धर्मनिष्ठ राजर्षि, जिसने अपने मृत हुए पुत्र को पुनः जीवित किया था [म. शां. १४९.६३] । श्र्वेत XI. n. १. एक राजा, जिसकी गणना भारतवर्ष के प्रमुख वीरों में की जाती थी । श्र्वेत XII. n. २. स्कंद का एक सैनिक [म. श. ४४.६३] । श्र्वेत XIII. n. ३. राम के पक्ष का एक वानर [वा. रा. यु. ३०] । श्र्वेत XIV. n. ४. (सो. क्रोष्टु.) एक राजा, जो कूर्म के अनुसार आर्हृति राजा का पुत्र था । श्र्वेत XV. n. ५. एक पापी राजा, जो अगस्त्य ऋषि के दर्शन से मुक्त हुआ था । यह सुदेव राजा का ज्येष्ठ पुत्र था । इसने अपनी उत्तर आयु में कठोर तपस्या की, किन्तु अन्नदान का पुण्य कहीं भी संपादन नहीं किया । इस कारण यद्यपि इसे स्वर्गप्राप्ति हुई, फिर भी यह सदैव क्षुधा एवं तृषा से तड़पता रहा। यहॉं तक कि, अपनी ही माँस खाने लगा। अन्त में ब्रह्मा ने इसे मुक्ति का मार्ग बताते हुए पुनः एक बार पृथ्वीलोक पर जाने के लिए कहा, एवं अगस्त्य ऋषि के दर्शन से मुक्ति प्राप्त करने की आज्ञा दी। तदनुसार यह पृथ्वीलोक में आया, एवं इसने अगस्त्य ऋषि के दर्शन से मुक्ति प्राप्त की [वा. रा. उ. ७८] ;[पद्म. सृ. ३४] । श्र्वेत XVI. n. ६. एक राजा, जो अर्जुन एवं कौरवों के बीच हुआ ‘उत्तर गोग्रहण’ युद्ध देखने के लिए स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतीर्ण हुआ था [म. भी. ९१.७*, पंक्ति. २८] । श्र्वेत XVII. n. ७. एक शिवभक्त, जिसने शिवभक्ति कर मृत्यु पर विजय प्राप्त की थी [स्कंद. १.१.३२] ;[ब्रह्म. ५९.७४] ;[लिंग ३१] ।
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