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अष्ट्क (वैश्वामित्र) n. सूक्तद्रष्टा [ऋ.१०.१०४] । विश्वामित्र का पुत्र [ऐ. ब्रा.७.१७.] ;[सां. श्रौ.१५. २६] । विश्वामित्र ऋषि को माधवी से उत्पन्न पुत्र [म. उ.११७.१७-१९] । यह बडा विद्वान् था । एक बार, अपने प्रतर्दन, वसुमनस् तथा शिबि इन तीन बंधुओं के साथ, जब यह रथ में बैठ कर जा रहा था, तब मार्ग में नारद इसे मिले । इसने उन्हें रथ में बिठाया तथा पूछा कि, हम चारों में से सबसे पहले किसका पतन होगा, यह बताओ । तब नारद ने कहा कि, यद्यपि तुमने बहुत गोप्रदान किये हैं, तथापि उसका तुम्हें अभिमान होने के कारण, तुम्हारा ही पतन पहले होगा [म. व. १९८] । इसका पितामह तथा माधवी का पिता ययाति आत्मश्वाघा के कारण, स्वर्ग से पतित हुआ । तब इसने उससे इसलोक तथा परलोक के संबंध में, अनेक प्रश्न पूछ कर ज्ञान प्राप्त किया, तथा अपना पुण्य दे कर उसे पुनः स्वर्ग में भेजा [म.आ.८३-८५] ;[मत्स्य. ३८-४१] । यह विश्वामित्र गोत्र के प्रवर में है । इसके पुत्र का नाम लौहि ।
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