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दमयन्ती [damayantī] 1 N. of the daughter of Bhīma, king of the Vidarbhas. [She was so called because by her matchless beauty she subdued the pride of all lovely women; cf. [N.2.18] : भुवनत्रयसुभ्रुवामसौ दमयन्ती कमनीयतामदम् । उदियाय यतस्तनुश्रिया दमयन्तीति ततोऽभिधां दधौ ॥ A golden swan first described to her the beauty and virtues of king Nala, and through him she communicated her love to Nala. Afterwards at the Svayaṁvara she chose Nala for her husband from out of a host of competitors among whom were the four gods Indra, Agni, Yama, and Varuṇa themselves, and the lovely pair spent some years very happily. But their happiness was not destined to last long. Kali, envious of the good fortune of Nala, entered his body, and induced him to play at dice with his brother Puskara. In the heat of the play the infatuated monarch staked and lost everything except himself and his wife. Nala and Damayantī were, therefore, driven out of the kingdom, 'clad in a single garment'. While wandering through the wilderness, Damayantī had to pass through several trying adventures, but her devotion to her husband remained entirely unshaken. One day while she was asleep, Nala in the frenzy of despair abandoned her, and she was obliged to go to her father's house. After some time she was united with her husband, and they passed the rest of their lives in the undisturbed enjoyment of happiness. See Nala and Ṛituparna also.]
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दमयन्ती n. विदर्भदेशाधिपति भीम राजा की कन्या तथा निषधदेश के राजा नल की पत्नी । भीम राजा की कन्या होने से इसका पैतृक नाम भैमी था । एक उपाख्यान के रुप में, नल-दमयंती की कथा महाभारत में दी गई है । विदर्भदेश के राजा भीम को संतति नहीं थी । एक बार अपने घर आये, दमन ऋषि का उसने स्वागत किया । इस ऋषि के आशीर्वाद से भीम राजा दम, दांत, दमन आदि तीन पुत्र, एवं दमयन्ती नामक कन्या हुई [म.व.५०.९] । अपने अद्वितीय सौंदर्य से, इसने सब सुंदर स्त्रियों का गर्व हरण किया था । इसलिये इसे दमयन्ती नाम मिला । एक सुवर्ण हंस द्वारा इसने नल राजा के गुण सुने । उसीके द्वारा इसने अपना प्रेम नलराज को विदित किया । इसके स्वयंवर के समय देश देश के राजा एवं इंद्र, अग्नि,वरुण,आदि देव भी उपस्थित थे । उन सब का त्याग कर इसने निषधाधिपति नल का ही वरण किया । उससे इसे इंद्रसेना तथा इंद्रसेन नामक अपत्य हुएँ । राज्यसौख्य का उपभोग इन दोनों को, अधिक वर्षो तक नहीं मिला । द्यूत में नल अपना सब ऐश्वर्य तथा राज्य गँवा बैठा । नल-दमयन्ती को एक ही वस्त्र से वन में जाना पडा । वन में नल एवं दमयंती पर अनेक संकट आये । इन संकटों से त्रस्त हो कर, दमयंती को सुप्तावस्था में अकेली छोड कर नल चला गया । बाद में अयोध्या के ऋतुपर्ण राजा के यहॉं, बाहुक नाम से वह सारथ्यकर्म करने लगा । बाद में इसे एक अजगर निगलने लगा । उस समय एक भील ने इसको बचाया । परन्तु उसके मन में दमयंती के लिये, पापवासना जागृत हुई । इस कारण, इसने अपने पातिव्रत्य सामर्थ्य से उसे दग्ध किया । तदनन्तर सार्थवाहों के काफिले के साथ, यह चेदिपुर आई, तथा सैरंघ्री नाम धारण करने लगी । इसके पिता द्वारा इसकी खोज के लिये भेजे गये एक दूत ने इसे ढूँढ निकाला । पश्चात् यह अपने मायके में जा कर रहने लगी । नल का पता लगाने के हेतु, इसने अपना दूसरा स्वयंवर जाहीर किया । उस स्वयंवर में नल उपस्थित हुआ । नल तथा दमयंती का पुनर्मीलन हुआ । बाद में नल ने पुष्कर से अपना राज्य पुनः जीता । इससे इन दोनों का जीवन सुख से व्यतीत हुआ [म.व.५४-७८] ; नल देखिये । दमयंती ने अपने दूसरे स्वयंवर का केवल नाटक रचाया था । इस स्वयंवर के लिये बाहुक (नल) एवं ऋतुपर्ण के सिवा और किसी को नहीं बुलाया था । इसके पिता भीम को भी इस स्वयंवर का पता नही था । बाहुक, नल ही है या नही, इसकी जॉंच लेने के लिये, स्वयंवर का नाटक इसने रचाया था ।
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N. N. of a flowering plant (Mar. मोगरी).
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दमयन्ती f. f. ‘subduing (men)’,
N. of नल's wife (daughter of भीम king of विदर्भ), [Nal.]
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