मृत्यु n. एक स्त्रीदेवता, जो ब्रह्मा के द्वारा जगत्संहार के लिए उत्पन्न की गयी थी । ऋग्वेद एवं महाभारतादि ग्रंथों में निर्दिष्ट यमदेवता से इसका काफी साम्य है । ऋग्वेद में कई स्थानों पर इसे यम से समीकृत किया गया है
[ऋ.१.१६५] । अथर्ववेद में मृत्यु की यम का दूत कहा गया है
[ऋ.१.१६५] । अथर्ववेद में मृत्यु को यम का दूत कहा गया है
[अ.वे.५.३०] । उसी ग्रंथ में अन्यत्र मृत्यु को मनुष्यों का, एवं यम को पितरों का अधिपति कहा गया है
[अ.वे.५.२४] । यम के भॉंति, इसे भी समस्त प्राणियों का नाशक माना गया है (यम देखिये) ।
मृत्यु n. इसके उत्पत्ति के पश्चात् ब्रह्मा ने इसे जगत्क्षय करने के लिए कहा । ब्रह्मा के इस आज्ञा को सुन कर, यह रोदन करने लगी, एवं इसने उसकी प्रार्थना की, ‘मृत्यु से प्राणिमात्र को अत्यंत दुःख ओता है । अतः यह कार्य मैं करना नही चाहती हूँ’ । उस पर ब्रह्मा ने इसे कहा, ‘जगतसंहार का प्रत्यक्ष काम रोग करेंगे । उस संहार का तुम्हे केवल निमित्त बनना है । उत्पत्ति की तरह मृत्यु भी हर एक प्राणिमात्र के लिए आवश्यक है, एवं वही कार्य तुम्हे करना है’
[म.द्रो.परि.१.क्र.८. पंक्ति६७-२१५] ;
[शां. २४९-२५०] ।
मृत्यु n. महाभारत के ‘सनत्सुजातीय’ भारतीय नामक आख्यान में, मृत्यु के संबंध में तात्त्विक विवेचन प्राप्त है । उस आख्यान में धृतराष्ट्र सनत्सुजात नामक ऋषि से प्रश्न करता है, ‘देव एवं असुर ब्रह्मचर्य से मृत्यु पर विजय पा सकते है, इस प्रकार तुम्हारा कहना है । फिर भी मृत्यु समस्त प्राणिजातियों के लिए अटल दिखाई देता है । इस मृत्यु पर विजय पानी हो, तो क्या करणा चाहिये’? इस प्रश्न पर सनत्सुजात जवाब देते हैः--- ‘धीरास्तु धैर्येण तरन्ति मृत्युम् । (धैर्यशील लोग अपने धैर्य से मृत्यु पर विजय पाते है)
[म.उ.४२.१२] । मृत्यु से बचने एवं दीर्घायु प्राप्त करने के लिए, अथर्व-वेद में अनेक प्रकार के अभिचार दिये गये है
[अ.वे.६२] । महाभारत में, मृत्यु एवं इक्ष्वाकु के बीच हुआ संवाद प्राप्त है
[म.शां.१९२] । उसी ग्रंथ में अन्यत्र इसे कर्माधीन एवं परतंत्र कहा गया है
[म.अनु.१.७४] ।
मृत्यु II. n. समस्त प्राणियोंका नाश करनेवाला एक पुरुषदेवता, जो अधर्म एवं निऋति के तीन पुत्रों में से एक था । यह समस्त लोगों का अंतक है, इसी कारण इसे कोई पत्नी, या पुत्र न थे
[म.आ.६०.५३, ५४९] । अर्जुनक नामक व्याध एवं सर्प से इसका संवाद हुआ था
[म.अनु.१.५०-६७] । इसने नचिकेतस् को ब्रह्मविद्या सिखायी थी
[क.उ.१६,६.१८] ।
मृत्यु III. n. एक आचार्य, जो प्रजापति नामक आचार्य का शिष्य था । इसके शिष्य का नाम वायु था
[वं.ब्रा.२] ।
मृत्यु IV. n. कलि एवं दुरुक्ति की कन्याओं में से एक ।
मृत्यु V. n. एक व्यास (व्यास देखिये) ।
मृत्यु VI. n. वेन नामक सुविख्यात राजा का मातामह, जिसकी मानसकन्या का नाम सुनीथा था (वेन.२ देखिये) ।