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शल्य

   { śalya }
Script: Devanagari

शल्य     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
ŚALYA   A king who gave advice and leadership to the Kauravas. He ruled over the Madra or Bālhīka kingdom. Mādrī, wife of Pāṇḍu was Śalya's sister. Yet, in the great war he stood firmly on the Kaurava side and died at Kurukṣetra. The following role he played in the Bhārata story.
(1) At the instance of Bhīṣma he gave his sister Mādrī in marriage to Pāṇḍu. [Ādi Parva, Chapter 112] .
(2) He was present at the wedding of Draupadī in the company of his sons Rukmāṅgada and Rukmaratha. [Ādi Parva, Chapter 185, Verse 18] .
(3) At the Śvayaṁvara of Draupadī he withdrew from stringing the bow, owning defeat. [Ādi Parva, Chapter 186, Verse 28] .
(4) Bhīma defeated him at the wedding of Draupadī. [Ādi Parva, Chapter 189, Verse 23]
(5) During his triumphal tour of the west, Nakula be- friended his uncle Śalya, and entertained him. [Sabhā Parva, Chapter 32, Verse 14] .
(6) He participated in Yudhiṣṭhira's Rājasūya yajña. [Sabhā Parva, Chapter 34, Verse 7] .
(7) Śiśupāla once opined that Śalya was nobler than Śrī Kṛṣṇa. [Sabhā Parva, Chapter 37, Verse 14] .
(8) He presented a good sword and a golden jar to Yudhiṣṭhira on the occasion of his coronation. [Sabhā Parva, Chapter 53, Verse 9] .
(9) When Dharmaputra went to Hastināpura to play the game of dice, Śalya was found to have arrived there earlier. [Sabhā Parva, Chapter 58, Verse 24] .
(10) Before the great war began he visited the Pāṇḍavas and blessed them. Moreover he agreed to act as Karṇa's charioteer and render him impotent so that the Pāṇḍavas could become victorious. [Udyoga Parva, Chapter 8] .
(11) Śalya joined the Kauravas in the great war with an akṣauhiṇī [a particular division of soldiers]. [Udyoga Parva, Chapter 19, Verse 16] .
(12) Śalya wished that Yudhiṣṭhira won the war. [Bhīṣma Parva, Chapter 43, Verse 79] .
(13) On the first day of the war he fought a duel with Yudhiṣṭhira. [Bhīṣma Parva, Chapter 45, Verse 28] .
(14) Śalya killed Uttara, the Virāṭa prince. [Bhīṣma Parva, Chapter 47, Verse 35] .
(15) He defeated Śaṅkha, another Virāṭa prince. [Bhīṣma Parva, Chapter 49, Verse 35] .
(16) He fought with Dhṛṣṭadyumna. [Bhīṣma Parva, Chapter 62] .
(17) Bhīmasena defeated Śalya. [Bhīṣma Parva, Chapter 64, Verse 27] .
(18) He fought with Yudhiṣṭhira again. [Bhīṣma Parva, Chapter 71, Verse 20] .
(19) Nakula and Sahadeva attacked Śalya. [Bhīṣma Parva, Chapter 81, Verse 26] .
(20) Sahadeva defeated Śalya. [Bhīṣma Parva, Chapter 88, Verse 51] .
(21) Śalya attacked Śikhaṇḍī. [Bhīṣma Parva, Chapter 85, Verse 27] .
(22) In the battle that followed he attacked the whole lot of Pāṇḍavas and wounded Yudhiṣṭhira. [Bhīṣma Parva, Chapter 105, Verse 30] .
(23) Bhīma and Arjuna fought with Śalya. [Bhīṣma Parva, Chapters 113 and 114] .
(24) Śalya fought a duel with Yudhiṣṭhira for the third time. [Bhīṣma Parva, Chapter 116, Verse 40] .
(25) He fought with Nakula. [Droṇa Parva, Chapter 14, Verse 31] .
(26) Abhimanyu and Śalya fought with each other. [Droṇa Parva, Chapter 14, Verse 78] .
(27) Afterwards in a club-fight with Bhīma, Śalya got defeated. [Droṇa Parva, Chapter 15] .
(28) He fought again with Yudhiṣṭhira. [Droṇa Parva, Chapter 25, Verse 15] .
(29) In the fight with Abhimanyu he fell down unconscious. [Droṇa Parva, Chapter 37, Verse 38] .
(30) Abhimanyu defeated him again. [Droṇa Parva, Chapter 48, Verse 14] .
(31) He fought for the fifth time with Yudhiṣṭhira. [Droṇa Parva, Chapter 26, Verse 99] .
(32) Afterwards he clashed with Arjuna as the protector of Jayadratha. [Droṇa Parva, Chapter 145, Verse 9] .
(33) He killed Śatānīka, brother of Virāṭa. [Droṇa Parva, Chapter 137, Verse 30] .
(34) When Droṇa was killed Śalya ran away from the battlefield. [Droṇa Parva, Chapter 193, Verse 11] .
(35) Śrutakīrti attacked Śalya. [Karṇa Parva, Chapter 13, Verse 10] .
(36) Duryodhana insisted upon Śalya acting as charioteer of Karṇa. At first Śalya got angry about the suggestion, but finally he took up the charioteership. [Karṇa Parva, Chapter 32] .
(37) As the charioteer of Karṇa Śalya cried down the former and praised Arjuna. [Karṇa Parva, Chapter 37, Verse 33] .
(38) Karṇa threatened to kill Śalya. [Karṇa Parva, Chapter 40] .
(39) Śalya cried down Karṇa by relating to him the story of the swan and the crow. [Karṇa Parva, Chapter 41] .
(40) When Bhīma wanted to cut off Karṇa's tongue Śalya reminded him of Arjuna's vow and thus made Bhīma retract from his plan. [Karṇa Parva, Chapter 50] ;[Mahābhārata, Dākṣiṇātyapāṭha] .
(41) When Karṇa attempted to kill Nakula, Sahadeva and Yudhiṣṭhira, Śalya prevented him from doing so. [Karṇa Parva, Chapter 63, Verse 21] .
(42) He consoled Karṇa, who got alarmed by the prowess of Bhīma. [Karṇa Parva, Chapter 84, Verse 8] .
(43) Śalya comforted Duryodhana, who grieved over the death of Karṇa. [Karṇa Parva, Chapter 92, Verse 10] .
(44) As desired by Duryodhana, he assumed charge over the army as its commander-in-chief. [Śalya Parva, Chapter 6, Verse 28] .
(45) He fought a fierce battle with Bhīma and Dharmaputra. [Śalya Parva, Chapters 11 and 12] .
(46) Dharmaputra defeated Śalya. [Śalya Parva, Chapter 16, Verse 63] .
(47) In the battle that followed, Śalya was killed by Yudhiṣṭhira. [Śalya Parva, Chapter 17, Verse 52] .
(48) Among the souls of those killed in battle beckoned to the surface of the Gaṅgā, Śalya's soul also was present. [Āśramavāsika Parva, Chapter 32, Verse 10] .
(49) Saṁhlāda, brother of Prahlāda and son of Hiraṇyakaśipu was another birth of Śalya. [Ādi Parva, Chapter 67, Verse 6] .
(50) Synonyms used in the Mahābhārata for Śalya: Ārtāyani, Bālhīkapuṅgava, Madrādhipa, Madraja, Madrajanādhipa, Mādraka, Madrarāṭ, Sauvīra etc.

शल्य     

हिन्दी (hindi) WN | Hindi  Hindi
noun  पुराणों में वर्णित एक राजा जो माद्री के भाई थे   Ex. शल्य नकुल और सहदेव के मामा थे ।
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
benশল্য
kasشلےٚ
malശല്യർ
oriଶଲ୍ୟ
panਸ਼ਾਲਯ
urdشلیہ
noun  छप्पय छंद का एक भेद   Ex. शल्य में कुल एक सौ सैंतीस वर्ण होते हैं ।
ONTOLOGY:
गुणधर्म (property)अमूर्त (Abstract)निर्जीव (Inanimate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
gujશલ્ય
sanशल्यः
urdشَلیَیہ

शल्य     

शल्य n.  वाह्लीक एवं मद्र देश का सुविख्यात राजा, जो नकुल-सहदेव की माता माद्री का भाई, एवं पाण्डवों का मामा था । इसके पिता का नाम ऋतायन था [म. भी. ५८.१४] । पाण्डवों का अत्यंत निकट का रिश्तेदार होते हुए भी, भारतीय युद्ध में यह कौरवों के पक्ष में शामिल था । संभवतः इसी कारण, महाभारत में इसे हिरण्यकशिपु के द्वितीय पुत्र ‘संह्राद’ के आसुरी अंश से उत्पन्न एक दुष्ट पुरुष कहा गया है [म. आ. ६१.६] । महाभारतकाल में मद्र एवं वाह्लीक देश हीन जाति के लोग माने जाते थे, इसका प्रत्यंतर शल्य के चरित्र में अनेक बार प्राप्त है । यद्यपि शल्य अत्यंत पराक्रमी, ‘बाह्लीकपुंगव’ एवं पांडवों का रिश्तेदार था, फिर भी मद्रदेशीय होने के कारण इसे जीवन भर उपहासात्मक वचन एवं अपमान सहने पड़े, जिसकी चरम सीमा भारतीय युद्ध के समय हुए ‘कर्ण-शल्य संवाद’ में पायी जाती है ।
शल्य n.  इसकी बहन माद्री अत्यंत स्वरूपसुंदर थी । इसी कारण हस्तिनापुर के राजा पांडु का विवाह उससे करने का प्रस्ताव भीष्म ने इसके सामने रखा। उस समय मद्र देश में प्रचलित रिवाज के अनुसार कन्यादान के शुल्क की माँग इसने भीष्म से की। भीष्म के इस शर्त को मान्यता देने पर इसने माद्री का विवाह पांडु से कराया ।
शल्य n.  अपने रुक्मांगद एवं रुक्मरथ नामक दो पुत्रों के साथ यह द्रौपदी स्वयंवर में उपस्थित था । उस समय यह मत्स्यभेद के लिए धनुष तक न चढ़ा सका था, जिस कारण स्वयंवरमंडप में इसे लज्जित होना पड़ा [म. आ. १७७.१३] । इसी मंडप में, इसका भीमसेन से युद्ध भी हुआ था, जिसमें यह उससे पराजित हुआ [म. आ. १८१.२४]
शल्य n.  नकुल के द्वारा किये गये पश्चिम दिग्विजय के समय, इसने शाकलनगरी में उसका अत्यंत उत्कृष्ट स्वागत किया, एवं उसे अनेकानेक भेंट वस्तुएँ प्रदान की। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में भी यह उपस्थित था, जहाँ शिशुपाल ने इसे श्रीकृष्ण से भी अधिक श्रेष्ठ ठहराने की कोशिश की थी किंतु अपने इस प्रयत्‍न में वह असफल रहा। इस समारोह में इसने युधिष्ठिर को एक रत्‍नजडित तलवार, एवं एक सुवर्णकलश प्रदान किया था । युधिष्ठिर एवं शकुनि के दरम्यान हुई द्युतक्रीड़ा में भी यह उपस्थित था ।
शल्य n.  इस युद्ध के समय, पांडवों ने अपनी ओर से इसे रणनिमंत्रण भेजा था । नकुल सहदेवों का मामा होने के कारण, इसका पांडवों के पक्ष में शामिल होना स्वाभाविक भी था । किंतु पांडव पक्ष में दाखल होने के लिए एक अक्षौहिणी सेना के साथ निकले हुए शल्यं को दुर्योधन ने राह में ही बड़ी चतुरता से रोका, एवं इसका इतना भव्य आदरसत्कार किया कि, यह पांडवों का पक्ष छोड़ कर कौरवपक्ष में शामिल हुआ। पश्चात् यह युधिष्ठिर के पास गया, एवं इसने कौरव पक्ष में रह कर ही युद्ध करने का अपना निश्र्चय उसे विदित किया [म. उ. ८.२५-२७] । उस समय युधिष्ठिर ने इसे कौरवपक्षीय योद्धाओं का, एवं विशेषतः कर्ण का तेजोभंग करने की प्रार्थना की। इसने युधिष्ठिर की यह प्रार्थना मान्य कर उससे ‘इंद्रविजय’ नामक उपाख्यान भी सुनाया । इसी कारण महाभारत में शल्य को ‘उपहित’ (शत्रु की वंचना करने के लिए नियुक्त) कहा गया है । भारतीय युद्ध में इसकी श्रेणी ‘अतिरथी’ थी, एवं हर एक युद्ध में यह कृष्ण के साथ स्पर्धा करने में प्रयत्‍नशील रहता था ।
शल्य n.  भारतीय युद्ध में इसने निम्नलिखित योद्धाओं के साथ युद्ध किया थाः-- १. विराटपुत्र उत्तर [म. भी. ४५.४१] २. विराटभ्राता शतानीक [म. द्रो. १४२.२७] ; ३. युधिष्ठिर [म. भी. ४३.२६] । इसी युद्ध में यह निम्नलिखित युद्धाओं के हाथों पराजित हुआ थाः-- (१) भीमसेन [म. भी. ६०.२३] ; (२) सहदेव [म. भी. ७९.५०] ; (३) अभिमन्यु [म. द्रो. ४७.१३]
शल्य n.  द्रोण वध के पश्चात्, कर्ण कौरवसेना का सेनापति बन गया । उस समय इसने अपना सारथी बनने की प्रार्थना कर्ण ने की। इसमें अपना अपमान समझ कर इसने इस प्रस्ताव को अमान्य कर दिया । किंतु अंत में स्वयं दुर्योधन के द्वारा प्रार्थना किये जाने पर, इसने कर्ण का सारथ्य स्वीकार किया । किंतु यह शर्त रक्खी कि, सारर्थ्यकर्म करते समय जो भी कुछ भलाबुरा यह कर्ण से कहेगा, वह उसे सुनना पड़ेगा [म. क. २२.२५]
शल्य n.  दूसरे दिन कर्ण एवं अर्जुन के दरम्यान हुए युद्ध में, इसने कर्ण से नाना प्रकार के उपहासपूर्ण वचन कह कर, उसका तेजोभंग किया । चित्रसेन गंधर्व केयुद्ध में कर्ण के द्वारा किया गया पलायन, विराटपुत्र उत्तर के द्वारा किया गया उसका पराजय आदि कर्ण के जीवन के अनेकानेक लांछनास्पद प्रसंगों का स्मरण इसने उसे दिलाया । अर्जुन के तुलना में कर्ण एक ‘काक’ के समान क्षुद्र एवं नीच है ऐसा कह कर, ‘हंसकाकीय’ नामक एक व्यंजनात्मक उपाख्यान भी उसे सुनाया [म. क. २६.२७-२९] । इस समय, कर्ण ने भी व्यक्तिशः इसकी एवं बाह्लिक देश में रहनेवाले लोगों की यथेच्छ निंदा की, एवं इन्हें चोर, हीन जाति के, व्यभिचारी आदि अनेकानेक भलेबुरे शब्द कहे। पश्चात् दुर्योधन ने मध्यस्थता कर, इन दोनों में शांतता प्रस्थापित की [म. क. ३०] । आगे चल कर, कर्ण एवं भीम के दरम्यान हुए युद्ध में, इसने कर्ण की जान भी बचायी थी [म. क. ६२.८.१४]
शल्य n.  कर्णवध के पश्चात्, यह कौरवसेना का सेनापति बन गया [म. श. १.८] । यह केवल आधा दिन के लिए ही कौरवों का सेनापति रहा। अन्त में माध्याह्न के समय, यह युधिष्ठिर के द्वारा मारा गया [म. श. १.१०, १६.५९-६५] । इसकी मृत्यु पौष कृष्ण अमावस्या के दिन हुई।

शल्य     

कोंकणी (Konkani) WN | Konkani  Konkani
noun  मोडून शरिरांत उरता असो तोंपिल्ल्या कांट्याचो भाग   Ex. शाम सुयेन शल्य काडपाचो येत्न करता
ONTOLOGY:
भाग (Part of)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
gujનટસાલ
hinनटसाल
kasکوٚنڈ
malഉള്ളില്‍ തറഞ്ഞിരിക്കുന്ന മുള്ള്
marकाट्याचे टोक
oriଖୁଞ୍ଚା
panਨਟਸਾਲ
tamஉடம்பில் குத்திய முள்ளின் உட்பகுதி
urdکانٹےکا ٹکڑا
noun  मोडूजन शरिरांत उरलां अशें बाणाचें तोंक   Ex. प्राण्यांच्या वैजान ओपेरासांवा वरवीं हरणाच्या पोटांतल्यान शल्य काडलें
ONTOLOGY:
भाग (Part of)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
benনটসাল
kasکانہٕ پھل , پھل
oriଭଙ୍ଗାତୀର
tamஉடம்பில் தைத்த அம்பின் உட்பகுதி
urdتیرکاٹکڑا
noun  सदांच उरना पूण केन्ना केन्ना खसलीय गजाल वा मनशाच्या उगडासांत जाता असो त्रास वा मानसीक व्यथा   Ex. शल्य केन्ना केन्ना म्हाका दुख्खी करता
ONTOLOGY:
मानसिक अवस्था (Mental State)अवस्था (State)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
कूस किशीर
Wordnet:
malവേദനിപ്പിക്കുന്ന ഓര്‍മ്മകള്‍
oriପୀଡ଼ାଦାୟକ ସ୍ମୃତି
panਨਟਸਾਲ
tamபழைய எண்ணம்
urdپھانس , خلش , روحانی تکلیف
noun  माद्रीचो भाव आशिल्लो असो पुराणांत वर्णन केल्लो एक राजा   Ex. शल्य नकुल आनी सहदेवाचो मामा आशिल्लो
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
benশল্য
hinशल्य
kasشلےٚ
malശല്യർ
oriଶଲ୍ୟ
panਸ਼ਾਲਯ
urdشلیہ
noun  छप्पय छंदाचो एक प्रकार   Ex. शल्यांत पुराय एकशे सडतीस वर्ण आसतात
ONTOLOGY:
गुणधर्म (property)अमूर्त (Abstract)निर्जीव (Inanimate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
gujશલ્ય
sanशल्यः
urdشَلیَیہ

शल्य     

A dictionary, Marathi and English | Marathi  English
left below the ground on which a house is rising. This must be dug up, or the house will be haunted &c.

शल्य     

Aryabhushan School Dictionary | Marathi  English
  A peg. A thorn. A dead fætus remaining in the womb.

शल्य     

ना.  दुःखदायक व्यथा , सतत बोचणारे दूःख , सल .

शल्य     

मराठी (Marathi) WN | Marathi  Marathi
noun  मनाला लागून राहिलेले दुःख   Ex. त्याच्या मनाला पराभवाचे शल्य झोंबले
SYNONYM:
सल
noun  पुराणांमध्ये वर्णिलेल्या माद्री राजाचा भाऊ   Ex. शल्य हा सहदेवाचा मामा होता.
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
benশল্য
hinशल्य
kasشلےٚ
malശല്യർ
oriଶଲ୍ୟ
panਸ਼ਾਲਯ
urdشلیہ
See : सल

शल्य     

 पु. एक पौराणिक राजा ; नकुल - सहदेवाचा मामा . शल्य म्हणे रे सूता बडबड करितोसि फार मद्यपसा । - मोकर्ण २९ . ३५ . [ सं . ]
 न. १ कांटा ; टांचणी ; कुसळ ; टोंचणारा पदार्थ . शलाका पहा . जया जन्ममृत्यूचें । हृदयीं शल्य । - ज्ञा १३ . ५५३ . २ न वाढतां पोटांत राहिलेला गर्भ ; सल . ३ ( ल . ) टोंचणारें दुःख ; सल ; मनाला लागून राहिलेला अपमान ; सलणी ; तापदायक , दुःखदायक व्यथा ; पीडा ; मनाला टोंचणारी गोष्ट . ४ बांधीत असलेल्या इमारतीखालील जागेंतील प्रेत , केस , हाडें वगैरे अशुभ पदार्थ . हा काढून टाकला नाहीं तर त्याची बाधा होते . ५ बाणाग्र . ६ शरीरांत राहिलेला ( कांटा , सुई , बाण , इ० चा ) अंश . [ सं . ]
०तंत्र   शास्त्र - न . वैद्यकीय शस्त्रविद्या ; शरीरांत असलेले आगंतुक पदार्थ कसे काढावे या विषयींचें शास्त्र ; शरीरव्यवच्छेदन शास्त्र . [ सं . ]

शल्य     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
शल्य  f. amn. (ifc.f(). ) a dart, javelin, lance, spear, iron-headed weapon (cf.उप-श्°), pike, arrow, shaft (also the point of an arrow or spear and its socket), [RV.] &c. &c.
anything tormenting or causing pain (as a thorn, sting &c.), or (in med.) any extraneous substance lodged in the body and causing pain (e.g. a splinter, pin, stone in the bladder &c.; also applied to the fetus, and, as a branch of med°, to ‘the extraction of splinters or extraneous substances’), [MBh.] ; [R.] &c., [Suśr.]
कर्म-श्°   a fault, defect, [Hariv.] (cf.)
ROOTS:
कर्म श्°
शल्य  m. m. a porcupine, [BhP.]
a kind of fish, [L.]
a fence, boundary, [L.]
Vanguieria Spinosa, [L.]
Aegle Marmelos, [L.]
N. of an असुर, [Hariv.] ; [VP.]
of a king of मद्र (maternal uncle of the sons of पाण्डु and esp. of नकुल and सह-देव, मद्री the wife of पाण्डु being sister to शल्य), [MBh.] ; [Hariv.] &c.
of another king, [Rājat.]
शल्य  n. n. an iron crow, [L.]
poison, [L.]
abuse, defamation, [L.] ,
शल्य   b &c. See col.1.

शल्य     

Shabda-Sagara | Sanskrit  English
शल्य  mn.  (-ल्यः-ल्यं) A dart, a jevelin.
 n.  (-ल्यं)
1. A bamboo rod or stake. 2. Any stake or thorn.
3. An arrow.
4. An iron crow.
5. Sin, crime.
6. Difficulty, embarrassment, distress.
7. An arrow, a thorn, or other extraneous substance which has lodged in the body, a dart, (lit.); but (fig.) any tormenting and heart- rending sorrow.
8. Abuse, defamation.
9. Poison.
10. A bone.
 m.  (-ल्यः)
1. A thorny shrub, (Vangueria spinosa.)
2. A porcupine. 3. A hedgehog.
4. A peg, a pin, &c.
5. A boundary.
6. Extrac- tion of splinters, (in surgery.)
7. A king, the maternal uncle of YUDHISṬHIRA.
E. शल् to go, aff. यत् or Unādi aff.
ROOTS:
शल् यत्

शल्य     

See : बाण

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