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पूरु n. ऋग्वेदकालीन एक जातिसमूह । अनु, द्रुहयु, तुर्वसु, एवं यदु लोगों के साथ, इनका निर्देश ऋग्वेद में प्राप्त है [ऋ.१.१०८.८] । दाशराज्ञ युद्ध में, सुदास राजा के हाथों पूरु लोगों को पराजित होना पडा [ऋ.७.८.४] । ऋग्वेद के एक सूक्त में, पूरु लोगों के एक राजा का, एवं सुदास की पराजय के लिए असफल रुप में प्रार्थना करनेवाले राजपुरोहित विश्वामित्र का निर्देश प्राप्त है [ऋ.७.१८.३] । यद्यपि दाशराज्ञ युद्ध में पूरुओं का पराजय हुआ, फिर भी ऋग्वेदकाल में ये लोग काफी सामर्थ्यशाली प्रतीत होते हैं । इन लोगों ने अनेक आदिवासी लोगों पर विजय प्राप्त किया था । [ऋ.१.५९.६,१३१.४,४. २१.१०] । तृत्सु एवं भरत जातियों से इन लोगों का अत्यंत घनिष्ठ संबंध था, एवं उन जातियों के साथ, पूरु लोग भी सरस्वती नदी के किनारे रहते थे [ऋ.७.९६.२] । कई विद्वानों के अनुसार, पूरु लोग सर्वप्रथम दिवोदास राजा के साथ सिन्धु नदी के पश्चिम में रहते थे, और बाद को ये सरस्वती नदी के किनारे रहने लगे । सिकंदर को एक पौरव राजा ‘उस हयदस्पीस’ नामक स्थान के समीप मिला था [अरियन-इंडिका ८.४] । यह स्थान सरस्वती नदी एवं पश्चिम प्रदेश के बीच में कहीं स्थित था । पूरु लोगों के अनेक राजाओं का निर्देश ऋग्वेद में प्राप्त है, जिससे इन लोगों का महत्त्व प्रस्थापित होता है । ऋग्वेद में प्राप्त पूरु राजाओं की वंशावलि इस प्रकार हैः
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पूरु m. m. (
orig. = पुरु, and connected with पुरुष, पूर्व्ष) a man, people, [RV.]
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N. of a tribe (associated with the यदुs, तुर्वशs, द्रुह्युs), ib.
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of a class of demons, [ŚBr.]
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