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मंकन n. वाराणसी में निवास करनेवाला एक नाई, जो श्रीगणेशजी का परम भक्त था । दिवोदास (द्वितीय) के राज्यकाल में, शिवजी ने काशी नगर को निर्जन बनाना चाहा । इस काम के लिये, उसने अपने पुत्र श्रीगणेश (निकुंभ) को नियुक्त किया । तदोपरांत, श्रीगणेश ने मंकन को दृष्टांत दे कर काशी नगरी के सीमापर अपना एक मंदिर बँधवाने के लिए कहा, जिस आज्ञा का इसने तुरंत पालन किया । काशी क अयह ‘निकुंभ मंदिर’ अत्यधिक सुविख्यात हुआ, एवं अपना ईप्सित प्राप्त करने के लिये देश देश के लोग उसके दर्शन के लिये आने लगे । निकुंभ ने अपने सारे भक्तों की कामनाएँ पूरी की, किंतु दिवोदास राजा की पुत्रप्राप्ति की इच्छा अपूर्ण ही रख दी, जिस कारण क्रुद्ध हो कर उसने निकुंभ मंदिर को उद्ध्वस्त किया । इस पाप के कारण, निकुंभ ने सम्स्त काशी नगर निर्जन होने का शाप दिवोदास राज को दे दिया, एवं इस तरह काशी नगर को विरान बनाने की शिवाजी की कामना पूरी हो गई [वायु.९२.३८] ;[ब्रह्मांड३.६७.४३] ।
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