आयु n. इंद्र ने वेश के लिये इसका पराभव किया था
[ऋ. १०.४९.५] । इंद्र ने इसका पराभव किया, ऐसा बहुत स्थानों पर उल्लेख मिलता हैं
[ऋ.२.१४.७,८.५३.२] । तथापि आयु ने इंद्रकी प्रशंसा के लिये एक सूक्त रचा है
[ऋ.८.५२] । यह शब्द सामान्य तथा विशेष अर्थ में उपयोग में लाया गया है । कुत्स तथा अतिथिग्व के साथ इसका उल्लेख है ।(सो.) पुरुरवस् को उर्वशी से उत्पन्न पुत्रों में ज्येष्ठ
[भा.९.१५. १] ;
[म.आ.७०.२२,९०.७] ;
[म.द्रो.११९.५] ;
[म.अनु.१४७] ;
[वा.रा. उ. ५६] ;
[गरुड.१. १३९.३] ;
[पद्म. सृ.१२. ८७] ;
[भू. १०३] । दत्तात्रेय के आश्रम में सौ वर्ष सेवा करने पर, दत्त ने इसे एक फल दिया । उसने अपनी स्त्री इंदुमती को वह फल खिलाया । जिसके कारण वह गरोदर हुई तथा उसे नहुष नामक पुत्र हुआ । उसे हुंड नामक दैत्य चुरा कर ले गया इसलिये, वह अपनी पत्नीसहित शोक करने लगा । नारद ने बताया कि, नहुष के द्वारा हुंड दैत्य मारा जायेगा तब वह स्वस्थ हुआ
[पद्म. भू. १०३-१०८] । इसे स्वर्भानु की कन्या प्रभा नामक दूसरी स्त्री थी, जिससे नहुषादि पुत्र हुए
[भा.९.१७.१] ;
[गरुड. १३९.८] ;
[ब्रह्मांड. ३.६७. १-२] ;
[ब्रह्म.११] ;
[पद्म. पा.१२.८७] ;
[ह. वं.१.२८] ।
आयु n. इसे के पांच पुत्र- १. नहुष, २. वृद्धशर्मन् (क्षत्रवृद्ध), ३. रम्भ, ४. रजि, ५. अनेनस्. नहुष का ययाति पूरु आदि वंश प्रसिद्ध है । वृद्धशर्मन का ही क्षत्रवृद्ध नाम है । उस का वंश काशि और काश्य नाम से प्रसिद्ध है । तीसरा रम्भ अनपत्य था । तथापि कई जगे उसका वंश मिलता है
[भा. ९.१७.१०] । चौथा रजि । उस को सौ पुत्र थे । वे इंद्र द्वारा नष्ट हो गये । अनेनस् का वंश स्वतंत्र रुप से उपलब्ध है
[ह. वं. १.२९] । आयुपुत्र रजि वंश को राजेय कहा गया है
[वायु. ९२.७४-९९] । इसका वंश ऊपर दिये गये स्थानों में है । इसने छत्तीस हजार वर्ष राज्य किया
[भवि. प्रति.१.१] ।
आयु (काण्व) n. सूक्तद्रष्टा
[ऋ.८.५२] ।
आयु II. n. पौष माह में भग नामक आदित्य के साथ भ्रमण करने वाला ऋषि
[भा.१२.११.४२] ।
आयु III. n. कृष्ण को रोहिणी से उत्पन्न पुत्र
[भा.१०.६१.१७] ।
आयु IV. n. अंगिरा तथा सुरुपा का पुत्र । एक देव
[मत्स्य. १९६] ।
आयु V. n. मंडूकों का एक प्रसिद्ध राजा
[म. व. १९०.३७] ।
आयु VI. n. प्राण नामक वसु एवं ऊर्जस्नती का पुत्र
[भा. ६.६.१२] ।
आयु VII. n. ((सो. क्रोष्टु.) पुरुहोत्र राजा का पुत्र । इसका पुत्र सात्वत
[भा.९.२४.६] ।
आयु VIII. n. धर्म अथा वसु का पुत्र । इन्हें वैतेडय, शम, शांत सनत्कुमार एवं स्कंद ये पुत्र थे
[ब्रह्मांड. ३.३२१-२९] ।