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त्रित

   { trita }
Script: Devanagari

त्रित     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
TRITA   
1) General information.
A son of the sage Gautama. He had two brothers called Ekata and Dvita. (See under Ekata).
2) Other details.
(i) Ekata, Dvita and Trita were born to clean the hands of the devas when they become smeared with the sacrificial butter during the yāgas. Of these Trita once fell into a well while drawing water and the asuras closed the well. But Trita escaped opening the top. [Sūkta 52, Anuvāka 10, Maṇḍala 1, Ṛgveda] .
(ii) Once Ekata, Dvita and Trita were stranded in a desert and desperately needed water to quench an increasing thirst. At last they found a well and Trita after getting down and quenching his thirst brought water to his brothers. The cruel brothers, after drinking the water pushed Trita into the well and covered the well with the wheel of a bullock-cart. Trita prayed to the Aśvinīdevas for help and they appeared before him and rescued him from the well. [Sūkta 105, Maṇḍala 1, Ṛgveda] .

त्रित     

हिन्दी (hindi) WN | Hindi  Hindi
noun  एक पौराणिक ऋषि   Ex. त्रित ब्रह्मा के मानस पुत्र माने जाते हैं ।
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
त्रित ऋषि
Wordnet:
benত্রিত
gujત્રિત
kasتِرٛت , ترٛت ریش
kokत्रित
marत्रित
oriତ୍ରିତ ଋଷି
panਤ੍ਰਿਤ
sanत्रितः
urdترت , ترت رشی
noun  गौतम ऋषि के एक पुत्र   Ex. त्रित का वर्णन पुराणों में मिलता है ।
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
त्रित ऋषि

त्रित     

त्रित n.  एक ऋषि तथा देवता । परंतु निरुक्त में इसे एक द्रष्टा कहा है [नि.४.६] । इन्द्र ने त्रित के लिये अर्जुन का वध किया [ऋ..२.११.२०] । त्रित ने त्रिशीर्ष का [ऋ.१०.८.८] ।, एवं त्वष्ट्रपुत्र विश्वरुप का वध किया [ऋ.१०.८.९] । मरुतों ने युद्ध में त्रित का सामर्थ्य नष्ट नहीं होने दिया [ऋ.८.७.२४] । त्रित ने सोम दे कर सूर्य को तेजस्वी बनाया [ऋ.९.३७.४] । त्रित तथा त्रित आप्त्य, एक ही होने का संभव है । त्रिंत को आप्त्य विशेषण लगाया गया है । इसका अर्थ सायण ने उदकपुत्र किया है [ऋ.९.४७.१५] । यह अनेक सूक्तों का द्रष्टा है [ऋ.१.१०५,८.४७,६.३३,३४,१०२,१०.१-७] । एक स्थान पर इसने अग्नि की प्रार्थना की है कि, मरुदेश के प्याऊ के समान पूरुओं को धन से तुष्ट करते हो [ऋ.१०४] । त्रित शब्द इंद्र के लिये उपयोग में लाया गया है [ऋ.१.१८७.२] । उसी प्रकार इंद्र के भक्त के रुप में भी इसका उल्लेख है [ऋ.९.३२.२.१०,.८.७-८] । त्रित तथा गृत्समद कुल का कुछ संबंध था, ऐसा प्रतीत होता है [ऋ.२.११.१९] । त्रित को विभूवस का पुत्र कहा गया है [ऋ.१०.४६.३] । त्रित अग्नि का नाम हैं [ऋ. ५.४१.४] । त्रित की वरुण तथा सोम के साथ एकता दर्शाई है [ऋ.८.४१.६,९.९५.४] । एक बार यह कुएँ में गिर पडा । वहॉं से छुटकारा हो, इस हेतु से इसने ईश्वर की प्रार्थना की । यह प्रार्थना बृहस्पति ने सुनी तथा त्रित की रक्षा की [ऋ.१.१०५.१७] । भेडियों के भय से ही त्रित कुएँ में गिरा होगा [ऋ.१.१०५.१८] । इसी ऋचा के भाष्य में, सायण ने शाटयायन ब्राह्मण की एक कथा का उल्लेख किया है । एकत, द्वित तथा त्रित नामक तीन बंधु थे । त्रित पानी पीने के लिये कुएँ में उतरा । तब इसके भाईयों ने इसे कुएँ में धक्का दे कर गिरा दिया, तथा कुँआ बंद करके चले गये । तब मुक्ति के लिये, त्रित ने ईश्वर की प्रार्थना की [ऋ.१.१०५] । यह तीनों बंधु अग्नि के उदक से उत्पन्न हुएँ थे [श. ब्रा.१.२.१.१-२] ;[तै.ब्रा ३.२.८.१०-११] । महाभारत में, त्रित की यही कथा कुछ अलग ढंग से दी गयी है । गौतम को एकत, द्वित तथा त्रित नामक पुत्र थे । यह सब ज्ञाता थे । परंतु कनिष्ठ त्रित तीनों में श्रेष्ठ होने के कारण, सर्वत्र पिता के ही समान उसका सत्कार करना पडता था । इन्हें विशेष द्रव्य भी प्राप्त नहीं होता था । एक बार त्रित की सहायता से यज्ञ पूर्ण कर के, इन्होंने काफी गौए प्राप्त की । गौए ले कर जब ये सरस्वती के किनारे जा रहे थे, तब त्रित आगे था । दोनों भाई गौओं को हॉंकते हुए पीछे जा रहे थे । इन दोनों को गौओं का हरण करने की सूझी । त्रित निःशंक मन से जा रहा था । इतने में सामने से एक भेडिया आया । उससे रक्षा करने के हेतु से त्रित बाजू हटा, तो सरस्वती के किनारे के एक कुएँ में गिर पडा । इसने काफी चिल्लाहट मचाई । परंतु भाईयों ने सुनने पर भी, लोभ के कारण, इसकी ओर ध्यान नहीं दिया । भेडिया का डर तो था ही । जलहीन, धूलियुक्त तथा घास से भरे कुएं में गिरने के बाद, त्रिस्त ने सोचा कि, ‘मृयु भय से मैं कुए में गिरा । इसलिये मृत्यु का भय ही नष्ट कर डालना चाहिये’। इस विचार से, कुएँ में लटकनेवाली वल्ली को सोम मान कर इसने यज्ञ किया । देवताओं ने सरस्वतीं के पानी के द्वारा इसे बाहर निकाला । आगे वह कूप ‘त्रित-कूप’ नामक तीर्थ स्थल हो गया । घर वापस जाने पर, शाप के द्वारा इसने भाईयों को भेडिया बनाया । उनकी संतति को इसने बंदर, रीछ आदि बना दिया । बलराम जब त्रित के कूप के पास आया, उस समय उसे यह पूर्वयुग की कथा सुनाई गयी [म.श.३५] ;[भा.१०.७८] । आत्रेय राजा के पुत्र के रुप में, त्रित की यह कथा अन्यत्र भी आई है [स्कंद.७.१.२५७]
त्रित II. n.  चक्षुर्मनु को नड्‌वला से उत्पन्न पुत्रों में से एक ।
त्रित III. n.  अंगिरस् गोत्र का एक मंत्रकार ।
त्रित IV. n.  ब्रह्मदेव के मानस पुत्रों में से एक ।

त्रित     

कोंकणी (Konkani) WN | Konkani  Konkani
noun  एक पुराणीक रुशी   Ex. त्रित ब्रह्माचो मानिल्लो पूत मानतात
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
त्रित रुशी
Wordnet:
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gujત્રિત
hinत्रित
kasتِرٛت , ترٛت ریش
marत्रित
oriତ୍ରିତ ଋଷି
panਤ੍ਰਿਤ
sanत्रितः
urdترت , ترت رشی
noun  गौतम रुशीचो एक पूत   Ex. त्रिताचें वर्णन पुराणांत मेळटा
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
त्रित रुशी

त्रित     

मराठी (Marathi) WN | Marathi  Marathi
noun  एक पौराणिक ऋषी   Ex. त्रित ह्यांना ब्रह्माचे मानसपुत्र मानले जाते.
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
त्रित ऋषी
Wordnet:
benত্রিত
gujત્રિત
hinत्रित
kasتِرٛت , ترٛت ریش
kokत्रित
oriତ୍ରିତ ଋଷି
panਤ੍ਰਿਤ
sanत्रितः
urdترت , ترت رشی
noun  गौतम ऋषींचे एक पुत्र   Ex. त्रितचे वर्णन पुराणांत आढळते.
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
SYNONYM:
त्रित ऋषी

त्रित     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
त्रित  m. m. ‘third’ (τρίτος), N. of a Vedic deity (associated with the मरुत्s, वायु, and इन्द्र; fighting like the latter with त्रित, वृत्र, and other demons; called आप्त्य [q.v.], ‘water-deity’, and supposed to reside in the remotest regions of the world, whence [[RV. viii, 47, 13-15] ; [AV.] ] the idea of wishing to remove calamity to , and the view of the त्रितs being the keepers of nectar [[RV. vi, 44, 23] ], similarly, [L.] [[RV. ii, 34, 10] ; [TS. i] ; [TBr. i] ] the notion of त्रित's bestowing long life; also conceived as an inferior deity conquering the demons by order and with the help of इन्द्र [[RV. ii;  viii, 52, 1;  x] ]; fallen into a well he begged aid from the gods [i, 105, 17; x, 8, 7]; as to this last myth, [Sāy.] on i, 105 relates that 3 ऋषिs, एकत, द्वित, and त्रित, parched with thirst, looked about and found a well, and when began to draw water, the other two, desirous of his property, pushed him down and closed up the well with a wheel; shut up there, composed a hymn to the gods, and managed miraculously to prepare the sacrificial सोम, that he might drink it himself, or offer it to the deities and so be extricated: this is alluded to in [RV. ix, 34, 4] [cf.32, 2; 38, 2; 102, 2] and described in [MBh. ix, 2095] ; also, [Nir. iv, 6] makes him a ऋषि, and he is the supposed author of [RV. i, 105;  viii, 36;  ix, 33 f. and 102;  x, 1-7] ; in epic legends [[MBh. ix, xii f.] ] एकत, द्वित, and are described as 3 brothers, sons of गौतम or of प्रजा-पति or ब्रह्मा; elsewhere is one of the 12 sons of मनुचाक्षुष by नड्वला, [BhP. iv, 13, 16] ; cf.त्रैतन॑; Zd.Thrita; Τρίτων, τριτο-γενής, &c.)
त्रित  n. n. triplet of young (three-twin), [TS.] Sch.

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