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दिंडि

   
Script: Devanagari

दिंडि     

दिंडि n.  सूर्य के सामने रथ में बैठनेवाला एक सेवक । यह सूर्य का प्रधान, एवं एकादश रुद्रो में से एक था [भवि ब्राह्म.७६.१९] । ब्रह्माजी का शिरच्छेद इसके हाथ से हुआ था । सूर्य के सन्निध रहने से, उस पातक से यह मुक्त हुआ [सांब.१६] । इसे दिंडिन् भी कहा है । यह महातपस्वी गणाधिपति था । पहले की गयी ब्रह्महत्या के निरसनार्थ, इसने सूर्याराधना की । सूर्य की कृपा से, यह ब्रह्महत्या से मुक्त हुआ । पश्चात् सूर्य से इसने क्रियायोग श्रवण किया [भवि. ब्राह्म.६३] । यह शंकर का अवतार था [भवि. ब्राह्म.९१] । यह सूर्य के पूर्व में स्थित है । निरंतर भ्रमणशील होने के कारण, इसके लिये रुद्र नाम प्रयुक्त है [भवि. ब्राह्म.१२४]

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