पारावत n. वैदिककाल में यमुना नदी के तट पर रहने वाला एक लोकसमूह
[ऋ.८.३४.१८] । पंचविंश ब्राह्मण में, इन लोगों का निर्देश, ‘पारावत-गण नाम से किया गया है एवं तुरश्रवस् को इनका पुरोहित बताया गया है
[पं.ब्रा.९.४.१०-११] । इन लोगों द्वारा दिये गये दानों का निर्देश वसुरोचिष के दानस्तुति में किया गया है
[ऋ.८.३४.१८] । सरस्वती नदी को ‘पारावतघ्नी’ (पारावतों का वध करनेवाली) कहा गया है
[ऋ.६.६१.२] । यह निर्देश भी, इनके यमुना नदीके तट पर रहने की पुष्टि करता है । हिलेब्रांट के अनुसार, गेड्रोसिया की उत्तरी सीमा पर वसे हुये टॉंलेमीकालीन ‘पारुएटे’ लोग ये ही थे
[वेदिये.माइ. १.९७] । इन लोगों का मूल नाम ‘पर्वतीय’ था एवं पश्चात् अपभ्रंश से पारावत बना ।
पारावत II. n. वसिष्ठ के बारह पुत्रों का सामूहिक नाम । बारह ‘पारावतों’ के नाम इस प्रकार हैः---अजिह्र, अजेय, आयु, दिव्यमान, प्रचेतस्, महाबल, महामान, दान, यज्वत्, विश्रुत, विश्वेदेव तथा समज
[ब्रह्मांड. २.३६.९-१५] ।
पारावत III. n. स्वारोचिष मन्वंतर का देवगण ।
पारावत IV. n. ऐरावत कुल का एक सर्प, जो जनमेजय के सर्पसत्र में जल कर मर गया था
[म.आ.५२.१०] ।