रहूगण n. एक परिवार, जिसमें गोतम राहूगण नामक ऋषि का जन्म हुआ था । शतपथ ब्राह्मण में इनका निर्देश ‘राहूगण’ नाम से प्राप्त है । इस पैतृक नाम को धारण करनेबाले अनेक आचायों का निर्देश वहाँ प्राप्त है
[श. ब्रा. १.४.१०-१९] । ऋग्वेद में गोतमऋषि का पैतृक नाम ‘राहूगण’ बताया गया है । गोतम के द्वारा रचित एक सूक्त में वह कहता है, ‘हम राहूगण अग्नि के इन मधुस्तोत्रों की रचना करते है’
[ऋ. १.७८.५] ; गोतम ३. देखिये । गोतम राहूगण विदेघ देश के माधव राजा का उपाध्याय था ।
रहूगण (आंगिरस) n. आंगिरसकुलोत्पन्न एक आचार्य, जिसके द्वारा रचित दो सूक्त्त ऋग्वेद मे प्राप्त है
[ऋ. ९.३७-३८] । ऋखेद में एक कुलनाम के नाते रहूगण का निर्देस प्राय: प्राप्त है । किन्तु ‘रहूगण आंगिरस’ के निर्देश से प्रतीत होता है कि, रहूगण एक व्यक्तिनाम भी था ।
रहूगण II. n. सिधुसौवरि देश का एक राजा, जिसका भरत (जड) नामक तत्वज्ञ के साथ संवाद हुआ था । एक बार यह पालकी में बैठकर कपिलाश्रम में ब्रह्मज्ञान का उपदेश सुनने जा रहा था । जब यह इक्षुमती नदी के तट पर जा पहूँचा, उस समय वहाँ के अधिपति ने जड भरत को पालकी उठाने के लिए पकड लाया । भरत स्वयं एक महान् तत्त्वश एवं सिद्ध पुरुष है, इसका पता चलते ही यह उसकी शरण में गया, एवं उसने शरीर तथा आत्मा की भिन्नाता के संबध में, इसने ज्ञान संपादन किया
[भा. ५.१०-१४] ;भरत जड देखिये । भागवत में प्राप्त ‘भरत-रहूगण संवाद’ में इक्षुमती नदी, चक्र नदी, शालग्राम तीर्थ, पुलस्त्य एवं पुलह ऋषियों के आश्रम, कालंजर तीर्थ आदि तीर्थस्थानों का निर्देश प्राप्त है
[भा. ५.८.३०,१०.१] ।