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शर्यात

   
Script: Devanagari

शर्यात     

शर्यात (मानव) n.  एक सुविख्यात यज्ञकर्ता राजा, जो अश्विनों का कृपापात्र था [ऋ. १.११२.१७] । एक वैदिक सूक्तद्रष्टा के नाते इसका निर्देश ऋग्वेद में प्राप्त है [ऋ. १०.९२] , किंतु वहाँ इसे ‘शार्यात’ कहा गया है । शतपथ ब्राह्मण एवं पुराणों में इसे क्रमशः ‘शर्यात’, एवं ‘शर्याति’ कहा गया है [श. ब्रा. ४.१.५.२] । मनु का वंशज होने के कारण, इसे ‘मानव’ पैतृक नाम प्राप्त हुआ था [जै. उ. ब्रा. ४.७.१, ८.३.५]
शर्यात (मानव) n.  यह इंद्र का मित्र था, एवं इन्द्र इसके घर सोम पीने के लिए आया करता था [ऋ. १.५१.१.१२, ३.५१.७] । भृगुपुत्र च्यवन ऋषि ने इसे राज्याभिषेक किया था । आगे चल कर इसने बड़ा साम्राज्य संपादन किया, एवं च्यवन ऋषि को ऋत्विंज बना कर एक अश्वमेध यज्ञ का भी, आयोजन किया । इसे देवों के यज्ञ में ‘गृहपतित्व’ का महत्त्वपूर्ण स्थान भी प्राप्त हो चुका था । इसकी कन्या का नाम ‘शार्याती सुकन्या’ था, जिसका विवाह इसने च्यवन ऋषि से कराया था । इस विवाह के कारण च्यवन इस पर अत्यंत प्रसन्न हुआ था । विवाह के समय, च्यवन अत्यंत बूढा था, किंतु पश्चात् अश्विनों ने उसे यौवन प्रदान किया था ।
शर्यात (मानव) n.  इन ग्रंथों में इसे वैवस्वत मनु का पुत्र कहा गया है, इवं इसकी पत्‍नी का नाम स्थविष्ठा कहा गया है । अपनी इस पत्‍नी से इसे आनर्त एवं सुकन्या नामक जुड़वीं संतान उत्पन्न हुई थी । पौराणिक साहित्य में इसे ‘शार्यात’ ‘शर्याति’ ‘शय्याति’ आदि अनेक नामांतर दिये गये हैं। यह अत्यंत शूर, एवं वेदविद्यापारंगत राजा था । आंगिरस ऋषि के द्वारा किये गये सत्र में, द्वितीय दिन के सारे कर्म एक ऋत्विज के नाते इसने निभायें थे । देवी को प्रसन्न करने के लिए भी इसने तपस्या की थी ।
शर्यात (मानव) n.  इसका प्रमुख पुरोहित मधुच्छंदस् वैश्वामित्र था । एक बार यह अपने पुरोहित के साथ, मृगया करने जा रहा था । मधुच्छंदस् के द्वारा प्रार्थना किये जाने पर इसने मृगयागमन स्थगित किया । किन्तु अपनी राजस्त्रियों की परीक्षा लेने के लिए, अपने एवं मधुच्छंदस् के वध की झुठी वार्ता अपने नगर में पहुँचा दी। इसके वध की वार्ता सुन कर इसकी दोनों ही पत्‍नीयाँ तत्काल मृत हुई। आगे चल कर, गोमती नदी के तीर पर तपस्या कर इसने अपनी दोनों पत्‍नीयों को पुनः जीवित किया [ब्रह्म. १३८]
शर्यात (मानव) n.  एक बार यह अपने सुकन्या नामक कन्या के साथ च्यवन ऋषि के आश्रम में गया । वहाँ इसकी कन्या ने असावधानी से च्यवन ऋषि की दोनों आँखे फोड डालीं। आगे चल कर, अनुतापदग्ध हो कर इसने ऋषि से क्षमा माँगी, एवं अपनी कन्या सुकन्या उसे विवाह में दे दी। अश्विनों की कृपा से च्यवन ऋषि की आँखे एवं गततारुण्य उसे पुनः प्राप्त हुआ [भा. ९.३.१८, १२.३.१०] ; च्यवन देखिये ।
शर्यात (मानव) n.  इसके उत्तानबर्हि, आनर्त एवं भूरिषेण नामक तीन पुत्र थे [भा. ९.३] । आगे चल कर, इसी के ही वंश में हैहय एवं तालजंघ नामक दो सुविख्यात राजा उत्पन्न हुए थे । [म. अनु. ३०.६-७]

शर्यात     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
शर्यात  m. m.N. of a man, [RV.] ; [ŚBr.] (cf. next and शार्यात).

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