शशबिंदु n. (सो. सह.) एक सुविख्यात यादववंशीय चक्रवर्ती राजा, जो महातपस्वी था
[वायु. ९५.१९] । यह चित्ररथ राजा का पुत्र था । नारद के द्वारा सृंजय राजा को सोलह प्रातःस्मरणीय राजाओं के आख्यान सुनाये गये थे, उनमें यह भी एक था
[म. द्रो. परि १. क्र. ८ पंक्ति. ६२३-६४५] ;
[शां. २९.९८-१०३, २०१.११] । संसार के श्रेष्ठतम एवं पुण्यशील राजा भी मृत्यु से नहीं बच सकते हैं, इस तत्त्व के प्रतिपादन के लिए नारद ने इसका जीवनचरित्र सृंजय को सुनाया था । रुद्रेश्र्वर-लिंग की आराधना करने के कारण इसे राजकुल में जन्म प्राप्त हुआ था
[स्कंद. ९.१.३९] ।
शशबिंदु n. इसकी कुल दस हज़ार स्त्रियाँ थीं, जिनमें से हर एक स्त्री से इसे दस हज़ार पुत्र उत्पन्न हुए थे
[म. शां. २९.९८-९९] । इसके पुत्रों में पृथुकीर्ति, एवं पृथुयशस् प्रमुख थे । इसकी कन्या का नाम बिंदुमती था, जिसका विवाह मांधातृ राजा से हुआ था
[भा. ९.६] । इसकी संतानों की संख्या के संबंध में अतिशयोक्त वर्णन भागवतादि पुराणों में प्राप्त है, जहाँ इसकी संतानों की कुल संख्या एक अब्ज बतायी गयी है
[भा. ९.२३.३१-३३] । इस प्रकार, इस सृष्टि की सारी प्रजा शशबिंदु की ही संतान कही गयी है ।