सम्राज् n. (स्वा. प्रिय.) एक राजा, जो चित्ररथ एवं ऊर्णा का पुत्र था । इसकी पत्नी का नाम उत्कला था, जिसने इसे मरीचि नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था
[भा. ५.१५.१४] ।
सम्राज् II. n. चक्रवर्ति राजा की एकसामान्य उपाधि, जो समस्त भारतवर्ष को जीतनेवाले राजा को प्राप्त होती थी
[वायु. ४५.८६] । पौराणिक साहित्य में हरिश्र्चंद्र एवं कार्तवीर्य राआओं के लिए यह उपाधि प्रयुक्त की गयी है
[वायु. ८८.११८] ;
[ब्रह्मांड. ३.१६.२३] ; चक्रवर्तिन् देखिये ।
सम्राज् II. n. ऋग्वेद काल में राजा (राजन्) की अपेक्षा शक्ति में श्रेष्ठ शासक को ‘सम्राज्’ कहा जाता था
[ऋ. ३.५५.६०] ;
[वा. सं. ५.३२] । शतपथ ब्राह्मण में वाजपेय यज्ञ करनेवाले राजा को ‘सम्राज्’ कहा गया है
[श. बा. ५.१..१३] । बृहदारण्यकोपनिषद में राजा के उपाधि के नाते ‘सम्राज्’ का निर्देश प्राप्त है
[बृ. उ. ४.१.१] ।