सिनीवाली n. एक देवी, जिसका निर्देश ऋग्वेद के दो सूक्तों में प्राप्त
[ऋ. २.३२, १०.१८४] । यह देवों की बहन मानी गयी है । यह विस्तृतनितंबा सुंदरभुजाओं एवं सुंदर उँगलियोंवाली, बहुप्रसवा एवं विशाल परिवार की स्वामिनी है । संतानप्रदान करने के लिए इसका स्तवन किया गया है । सरस्वती, राका, गुंगु आदि देवियों के साथ इसका आवाहन किया गया है । अथर्ववेद में इसे विष्णु की पत्नी कहा गया है
[अ. वे. ८.४६] । बाद में वैदिक ग्रंथों में, राका एवं सिनीवाली का चंद्रमा की कलाओं के साथ संबंध दिया गया है, जहाँ सिनीवाली को नवचंद्रमा (प्रतिपदा) के दिन की, एवं राका को पूर्णिमा के दिन की अधिष्ठात्री देवी माना गया है । किन्तु इस कल्पना का ऋग्वेद में कहीं भी निर्देश प्राप्त नहीं है ।
सिनीवाली n. इस साहित्य में इसे अंगिरस् ऋषि एवं श्रद्धा की तृतीय कन्या कहा गया है । इसका विवाह धातृ नामक आदित्य से हुआ था, जिससे इसे दर्श (सायंकाल) नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था । यह अत्यंत कृश थी, जिस कारण यह कभी दृश्यमान, एवं कभी अदृश्य रहती थी । इसी कारण इसे ‘दृश्यादृश्य’ नामान्तर प्राप्त हुआ था
[भा. ६.१८.३] ।
सिनीवाली II. n. कर्दमपत्नी देवहूति का नामान्तर।
सिनीवाली III. n. बृहस्पति एवं शुभा की कन्या, जिसका विवाह कर्दम प्रजापति से हुआ था । अपने पति का त्याग कर, यह सोम से प्रेम करती थी
[वायु. ९०.२५] ।