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( अ ) - मज्जन
- वस्त्र
- अलत्तक
- केशपाश
- सौगंध्य
- भूषण
- मुखसुवास
- कज्जल,
- भाषण
- हास्य
- चातुर्य
- चालन,१
- पातिब्रत्य
- गान
- कटाक्ष
- क्रोडा
( आ) - तैलाभ्यंगस्नान
- चीर
- कंचुकी
- कुंकुम
- काजळ
- कुंदलें
- हार
- मोतीं
- केश
- नूपुरें
- चंदन
- कंबरपटटा
- तोडे
- तांबूल
- बांगडया
- चतुरता
( इ ) चार चतुष्पद, चार खगपद, चार फल, फुल चार, राधाजीके बदनपर ये सोळा सिनगार ll ( दोहर ) चतुष्पद- - तुरंगवत् घुंगट,
- कुरंगवत् नेत्र,
- गजगती चालणें,
- सिंहाप्रमाणें कंबर.
खगपद- - कोकिळा स्वर,
- भ्रमराकृति भोवया,
- शुकचंचुवत नाक,
- मीनखंजनाक्षवत चंचलता. ( मीनवत् अक्ष)
फळें- - कपित्थवत् कुच,
- दाळिंबबीजवत् दंत,
- आम्रबीजवत् हनुवटी,
- प्रवाळापरी अधर.
फुलें- - चंपकवत् कांती,
- केतकीवत् सुगंध,
- कमलाकृती नाभि,
- गुलाबापरी गाल
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