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आश्रि [āśri] 1 [U.]
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(a.) To resort or betake oneself to; to have recourse to (a place, way, course of action &c.); विचरितमृगयूथान्याश्रयिष्ये वनानि [V.5.17;] निम्नगां आश्रयन्ते [Rs.1.27;] दक्षिणां मूर्तिमाश्रित्य [K.128,132;] न वयं कुमारमाश्रयामहे [Mu.4;] आशिश्राय च भूतलम् [Bk.14.111] fell on the ground; 17.92; वृत्तिमाश्रित्य वैतसीम् [R.4.35] resorting to or following; so धैर्यम्, शोकम्, बलम्, मित्रभावम्, संस्कृतमाश्रित्य &c.; आश्रित्य having recourse or reference; तामाश्रित्य [M.4.1,] कतमत्प्रकरणमाश्रित्य गीयताम् [Ś.1.] (b) To seek refuge with, dwell with or in, inhabit (as a place &c.); शरण्यमेनमाश्रयन्ते [R.13.7;] [Pt.1.51;] तथा गृहस्थमाश्रित्य वर्तन्ते सर्व आश्रमाः [Ms.3.77;] सर्वे गुणाः काञ्चन- माश्रयन्ते.
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To go through, experience; एको रसः ... पृथक् पृथगिवाश्रयते विवर्तान् [U.3.47.]
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To rest or depend upon.
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