१ - मंगलाचरण - अध्याय १ - श्लोक १ से ८
२ - वास्तुपुरूष पूजन - अध्याय १ - श्लोक ९ से २३
३ - भूमिलक्षण - अध्याय १ - श्लोक २४ से ३९
४ - भूमिफल - अध्याय १ - श्लोक ४० से ७१
५ - शकुन फल - अध्याय १ श्लोक ७१ से ८२
६ - खननविधी - अध्याय १ - श्लोक ८३ से १२८
७ - स्वप्नविधी - अध्याय २ - श्लोक १ से १३
८ - दिशाफल - अध्याय २ - श्लोक १४ से १६
९ - समयशुद्धी - अध्याय २ - श्लोक १७ से ५०
१० - ध्वजफल - अध्याय २- श्लोक ५१ से ६१
११ - आयव्ययफल - अध्याय २ - श्लोक ६२ से ९३
१२ - देवादीक स्थान निर्णय - अध्याय २ - श्लोक ९४ से १०२
१३ - धृवादिगृहभेद - अध्याय २ - श्लोक १०३ से १६१
१४ - द्वारमान - अध्याय २ - श्लोक १६३ से १६७
१५ - स्तंभप्रमाण - अध्याय २ - श्लोक १६८ से १७०
१६ - गृहशाला निर्णय - अध्याय २ - श्लोक १७१ से १९७
१७ - गृहारंभकाल - अध्याय ३ - श्लोक १ से २१
१८ - गृहारंभ - अध्याय ३ - श्लोक २१ से ७०
१९ - शय्यामंदिर भवन - अध्याय ४ - श्लोक १ से २५
२० - पादुकामान लक्षण - अध्याय ४ - श्लोक २६ से ३३
२१ - शंकुशिलान्यास - अध्याय ४ - श्लोक ३४ से ६२
२२ - वस्तुदेहलक्षण बलिदान - अध्याय ५ - श्लोक १ से ३६
२३ - शिलान्यास पूजन - अध्याय ५ - श्लोक ३७ से २६२
२४ - प्रासादविधान - अध्याय ६ - श्लोक १ से १४
२५ - शिलान्यास विशेष - अध्याय ६ - श्लोक १५ से ६१
२६ - प्रासादनिर्णय - अध्याय ६ - श्लोक ६२ से १०९
२७ - पीठिकालक्षण - अध्याय ६ - श्लोक ११० से ११२
२८ - मंडपलक्षण - अध्याय ६ - श्लोक ११३ से १३६
२९ - द्वारलक्षण - अध्याय ७ - श्लोक १ से ११३
३० - पुष्कर उद्यान मंडप - अध्याय ८ - श्लोक १ से ३२
३१ - वृक्ष छेदन विधी - अध्याय ९ - श्लोक १ से ४८
३२ - गृहप्रवेश निर्णय - अध्याय १० - श्लोक १ से ८
३३ - गृहप्रवेशकालशुद्धी - अध्याय १० - श्लोक ९ से ४५
३४ - शय्याशयन लक्षण - अध्याय १० - श्लोक ४६ से ८९
३५ - कलशचक्र प्रवेश - अध्याय १० - श्लोक ९० से १०५
३६ - दुर्गवास्तु पूजन - अध्याय ११ - श्लोक १ से ५९
३७ - शल्यज्ञान - अध्याय १२ - श्लोक १ से ७९
३८ - राजगृहनिर्णय - अध्याय १३ - श्लोक १ से ११०
३० - ग्रंथफलश्रुतिनिरूपण - अध्याय १३ - श्लोक १११ से ११२