अष्टसिद्धि पूजन
अंगपूजन के पश्चात अष्टसिद्धियों का पूजन करें । पूजन में निम्नलिखित मन्त्रों का उच्चारण करते हुए गन्धाक्षत -पुष्प सामने मण्डल पर चढाए :
ॐ अणिम्ने नमः , ॐ महिम्ने नमः , ॐ गरिम्णे नमः , ॐ लघिम्ने नमः , ॐ प्राप्त्यै नमः , ॐ प्राकाम्यै नमः , ॐ ईशितायै नमः , ॐ वशितायै नमः ॥
अष्टलक्ष्मी पूजन
अष्टसिद्धियों के पूजन के पश्चात मॉं लक्ष्मी के अष्ट स्वरुपों का पूजन करना चाहिए । निम्नलिखित मन्त्रों का उच्चारण करते हुए अष्टलक्ष्मियों के पूजन के लिए गन्धाक्षत -पुष्प सामने मण्डल पर चढाए :
ॐ आद्यलक्ष्म्यै नमः
ॐ विद्यालक्ष्म्यै नमः
ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नमः
ॐ अमृतलक्ष्म्यै नमः
ॐ कामलक्ष्म्यै नमः
ॐ सत्यलक्ष्म्यै नमः
ॐ भोगलक्ष्म्यै नमः
ॐ योगलक्ष्म्यै नमः ।
आरती , पुष्पाज्जलि और प्रदक्षिणा
निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए जलपात्र लेकर आरती करें । आरती के पश्चात पुष्पांजलि एवं प्रदक्षिणा करें :
कदलीगर्भसम्भूतं कर्पूरं तु प्रदीपितम ।
आरार्तिकमहं कुर्वे पश्य मे वरदो भव ॥
नानासुगन्धिपुष्पाणि यथाकालोद्भवानि च ।
पुष्पाज्जलिर्मया दत्ता गृहाण परमेश्वरि ॥
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च ।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणा पदे पदे ।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः । प्रार्थनापूर्वकं नमस्कारान समर्पयामि ॥