हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|अनुवादीत साहित्य|रूद्रयामल| उत्तरतंत्र|द्वादश पटल| भावप्रश्नार्थबोधकथन द्वादश पटल भावप्रश्नार्थबोधकथन महासूक्ष्मफल-ज्ञापकचक्र प्रश्नफलबोधक चक्र आज्ञाचक्रकथन वाग्देवताध्यान द्वादश पटल - भावप्रश्नार्थबोधकथन रूद्रयामल तन्त्रशास्त्र मे आद्य ग्रथ माना जाता है । कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है । Tags : rudrayamaltantra shastraतंत्र शास्त्ररूद्रयामल भावप्रश्नार्थबोधकथन Translation - भाषांतर आनन्दभैरवी उवाच श्री आनन्दभैरवी ने कहा --- उस चक्र के बायीं ओर स्थित सन्धि देश में ८ का अङक लिखे । उसके नीचे की ओर स्थित सन्धि देश में बुद्धिमान् साधक ७ अङक लिखे । उसके ऊपर बायीं ओर के कोण में ३ का अङ्क लिखे । उसके ऊपर के कोणगृह में २ का अङ्क लिखे । उसके दाहिनी ओर के गृह में १ का अङ्क लिखे । हे प्रभो ! अब उनमें लिखे जाने वाले वर्णों को भी सुनिए ॥१ - ३॥ वसु अर्थात् आठवाँ भाव शून्य तथा छठा भाव शून्य रखे । इनके मध्य में कोई वर्ण नहीं लिखना चाहिए । शेष कोणों में वर्ण के साथ अङकों को भी लिखे । ५ वें कोण में ट वर्ग तथा त वर्ग एवं श ष लिखे । नीचें का कोण शून्य रखे ॥३ - ४॥ चौथे अङ्क में एकार ऐकार से युक्त क वर्ग तथा च वर्ग लिखे तीसरे गृह में अकार से लेकर क्षान्त वर्ण तथा ट वर्ग एवं ’ ओम् ’ लिखे ॥५॥ दूसरे में त वर्ग , प वर्ग तथा मकार सावधानी से लिखें उसके दक्षिण वाले गृह में जिसमें एक अङ्क हो उसमें दोनों हस्व दीर्घ उकार ( उ ऊ ) एवं प वर्ग और त वर्ग लिखे । चक्र के दोनों शिरों पर अकार लिखे । यही कामचक्र है जो प्रश्न काल में फल देने वाला है ॥६ - ७॥ N/A References : N/A Last Updated : July 29, 2011 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP