कृत्य दिवाकरः - कृत्यदिवाकरस्थ विषयानुक्रमः

‘कृत्य दिवाकरः’ या ग्रंथाद्वारे शास्त्रोक्त पूजा पाठ कसे करावेत याचे ज्ञान मिळते.


अथ कृत्यदिवाकरस्थ - विषयानुक्रमः ।
वि. सं.     विषयाः
        प्रथमांशौ -
१ - २         गणपतिपूजनं पुण्याहवाचनं च
३         मातृकापूजनम्
४         नांदी - ( वृद्धि - ) श्राद्धम्
५         अग्निमुखं ( सर्वत्रोपयुक्तम् ) अग्निनामानि ( टिप्पण्याम् )
६         ग्रहयज्ञः ( ग्रहमखः - सर्वत्रो - पयुक्तः ) जपाकुसुमसंकाशं नवग्रहसोत्रं ( पृ. ७ टिप्पण्यां ) सर्वत्राभिषेकोपयुक्तामंत्राः कर्मांगदेवताः         ( टिप्पण्यां )
७        भुवनेश्वरीशांतिः
८         गर्भांधानम्
९         पुंसवनम्
१०         सीमन्तोन्नयनम्
११         गर्भिण्या वस्त्रदानं माल्यादिधारणं च
१२         जातकर्म
१३         षष्ठीपूजनम्
१४         नामकरणम्
१५         आंदोलारोहणम्
१६         कर्णवेधः
१७         तांबूलभक्षणम्
१८         निष्क्रमणम्
१९         भूयुपवेशनम्
२०         अन्नप्राशनम्
२१         बालस्य दृष्टिदोषादौ रक्षाविधिः
२२         वर्धापनम्
२३         चौलम्
२४         विद्यारंभः
२५         छूरिकाबन्धः
२६         मौंजी - ( व्रत - ) बन्धकारिकाः
२७         मौंजी - ( व्रत - ) बंधनप्रयोगः
२८         मौंजींबंधनांगभूतसायंहोमः
२९         मेधाजननम्
३०         देवकोत्थापनम्
३१         मौंजीविसर्जनम्
३२         स्नातकधर्माः
३३         दत्तपुत्रप्रतिग्रहविधिः
३४         विवाहविधिः सप्रयोगः वाडनिश्चयः ( वाग्दानम् )
३५         मुहूर्तमेथिकास्थापनं माषादिदलनं हरिद्राकंडनं च
३६         देवकस्थापनम्
३७         वरस्य वधूगृहगमनम्
३८         वरस्य सीमांतपूजनम्
३९         घटिकास्थापनम्
४०         गौरीहरपूजा
४१         मधुपर्कः
४२         मुहूर्तपत्रिकापूजनादि
४३         अक्षतारोपणम्
४४         कन्यादानम्
४५         विवाहहोमः
४६         ऐरिणीदानम् ( मत्तमातंगभद्रमातंगपूजनं च )
४७         वधूवस्त्रदानम्
४८         वधूगृहप्रवेशः
४९         नाम - लक्ष्मीपूजनम्
५०         आशीर्वादमंत्राः
५१         देवकोत्थापनम्
५२         द्विरागमनम्    
५३         अर्कविवाहः
५४         श्रीशांतिः

मध्यमांशौ - जननशांत्यादयः ।
५५         गोप्रसवशांतिः
५६         कृष्णचतुर्दशी - जननशांतिः
५७         सिनीवाली - कुहू - जननशांतिः
५८         दर्श - जननशांतिः
५९         ज्येष्ठाजननशांतिः
६०         मूलजननशांतिः ग्रहाणामादिरादित्य इत्यादि ग्रहमंत्राः - ( टिप्पण्याम् )
६१         आश्लेषा - जननशांतिः
६२         पित्राद्येकनक्षत्र - जननशांतिः
६३         चित्रादिनक्षत्र - जननशांतयः
६४         व्यतीपात - जननशांतिः
६५         वैधृति - जननशांतिः
६६         भद्राजननशांतिः
६७         अधोमुखजननशांतिः
६८         यमलजननशांतिः
६९         त्रिकप्रसवशांतिः
७०         ग्रहणजननशांतिः
७१         दिनक्षयादिजननशांति - विचार
७२         वैकृतजननशांतिविचारः
७३         सिंहेर्के गोप्रसवे तच्छांतिप्रयोगः
७४         माघेबुधेमूलेचमहिषीप्रसवशांतिः
७५         पल्लीपतनशांतिः
७६         दीपपतनशांतिः
७७         अद्भुतोत्पातशांतिः
७८         अद्भुतशांतौ विध्यंतरम्
७९         सर्वनक्षत्रेषु ( साधारण ) ज्वरशांतिः
८०         प्रकारांतरेण साधारणज्वरशांतिः
८१         ज्वरादिसर्वरोगनाशकानि भागवतस्थं ज्वरस्तोत्रम् ( टिप्पण्यां )
८२         अनिष्टग्रहपीडापरिहारार्थं दानानि
८३         शनिव्रतम्
८४         अनिष्टग्रहदानसंकल्पः
८५         ग्रहाणां जपसंख्या
८६         नारायणबलिः
८७         नागबलिः
८८         व्रतोद्यापनाद्युपयुक्त - मंडल - देवतास्थापनम्
८९         व्रतोद्यापनविधिः

गृहवास्तुप्रकरणम् ।
९०         गृहारंभे शिलान्यासविधिः
९१         गृहस्य स्तंभोच्छ्रायः
९२         ग्रहस्योर्ध्वपृष्ठाख्य - दारु - स्थापन
९३         गृहप्रवेशनम्
९४         वास्तुशांतिप्रयोगः
९५         वृषवास्तुस्थापनम्
९६         कूपोत्सर्गप्रयोगः
९७         उदुम्बरादिवृक्षोद्यापनम्

आन्हिकप्रकरणम् ।
९८         प्रातः कृत्यम्
९९         श्रीगणेशप्रात स्मरणम्
१००         श्रीशिवप्रातः स्मरणम्
१०१        श्रीविष्णुप्रातः स्मरणम्
१०२         श्रीसूर्यप्रातः स्मरणम्
१०३         श्रीदेवीप्रातः स्मरणम्
१०४         मूत्रपुरीषोत्सर्गविधः
१०५         दन्तधावनम्
१०६         स्नानविधिः
१०७         मंत्रादिस्नानविधिः
१०८         ब्रह्मयज्ञः
१०९         ब्रह्मयज्ञांगतर्पणम्
११०         ब्रह्मयज्ञांगस्वपितृतर्पणम्
१११         तत्रादौ उत्सर्जनम् ( श्रावणीप्रयोगः )
११२         उत्सर्जनांगस्नानविधिः
११३         ऋषिपूजनम्
११४         तदंगतर्पणम्
११५         उपाकरणम्
११६         यज्ञोपवीताभिमंत्रणम्
११७         सर्वदेवानां साधारणपूजा
११८         मंत्रपुष्पाञ्जलिमंत्राः ( सस्वराः )
११९         वैश्वदेवः
१२०         पितृयज्ञः ( नित्यश्राद्धम् )
१२१         मनुष्ययज्ञः
१२२         गोग्रासार्पणम्
१२३         भोजनविधिः
१२४         पार्वणश्राद्ध ( सांवत्सरिकश्राद्ध ) - प्रयोगः
१२५         पिंडप्रदानम्
१२६         श्राद्धांगतर्पणम्
१२७         केवलामान्नदानश्राद्धप्रयोगः
१२८         दर्शश्राद्धम्
१२९         अविधवा - ( सौभाग्यवती ) - श्राद्धम्
१३०         अक्षय्यतृतीयायांउदकुंभ ( दानं ) श्राद्धम्
१३१         महालयश्राद्धादौ पितृगणक्रमः

चरमांशौ -
१३२         सर्वप्रायश्चित्तप्रयोगः
१३३         दशदानानि
१३४         विप्रपादोदकग्रहणसंकल्पः
१३५         गोदानप्रयोगः
१३६         ऋणधेनुदानम्
१३७         उत्क्रांतिधेनुदानम्
१३८         मोक्षधेनुदानम्
१३९         पापधेनुदानम्
१४०         वैतरणीधेनुदानम्
१४१         तिलपात्रदानम्

अंत्येष्टिप्रकरणम् ।
१४२         प्राक्कर्तव्यविधिः
१४३         शवदाहादिविधिः
१४४         धनिष्ठापंचक - त्रिपान्नक्षत्र - मरणविधिः
१४५         प्रथमदिनकृत्यम्
१४६         विषमश्राद्धम्
१४७         नग्नप्रच्छादनश्राद्धम्
१४८         पाथेयश्राद्धम्
१४९         अस्थिसंचयनम्
१५०         अस्थिसंचयनश्राद्धम्
१५१         द्वितीयदिनकृत्यम्
१५२         तृतीयदिनकृत्यम्
१५३         चतुर्थदिनकृत्यम्
१५४         पंचमदिनकृत्यम्
१५५         षष्ठदिनकृत्यम्
१५६         सप्तमदिनकृत्यम्
१५७         अष्टमदिनकृत्यम्
१५८         नवमदिनकृत्यम्
१५९         दशमदिनकृत्यम्
१६०         वेदिकाश्राद्धम्
१६१         एकादशाहकृत्यम्
१६२         महैकोद्दिष्टश्राद्धविधिः
१६३         रुद्रगणश्राद्धम्
१६४         वसुगणश्राद्धम्
१६५         षोडशमासिकश्राद्धानि
१६६         पुनश्च दशदानानि
१६७         अष्टदानानि
१६८         उपदानानि
१६९         बृहच्छय्यादानम्
१७०         वृषोत्सर्गः
१७१         सपिण्डीकरणश्राद्धम्
१७२         पाथेयश्राद्धम्
१७३         निधनशान्तिः ( शांतोदकं )
१७४         उदकुंभश्राद्धम्
१७५         धनिष्ठापंचक - मरणशांतिः
१७६         श्रवणामान्नविधिः
१७७         पालाशप्रतिकृतिदाहविधिः
१७८         रजस्वला - सूतिका - मरणविधिः
१७९         कुष्ठीमरणविधिः
१८०         गर्भिणीमरणविधिः
१८१         पाखंड्यादिमरणनिर्णयः
१८२         तीर्थेऽस्थिप्रक्षेपविधिः
१८३         अश्मबद्धश्मशानोत्सर्गः
१८४         सर्पदष्टव्रतविधिः
१८५         एतद् ग्रन्थविषयानुक्रमः
१८६         ग्रंथप्रणेतुर्वंशानुवर्णनम्

इत्यनुक्रमणिका ।
आंग्लाब्दस्याद्यृत्विभराडभुवस्तत्त्वयमेनहि राजपट्टाधिरुढोऽयं ग्रन्थो ग्रन्थकृता कृतः ॥

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Last Updated : November 11, 2016

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