वस्त्रधारण-विधि
प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.
गीले वस्त्रको नदीके तटपर नीचेसे उतारना चाहिये, किंतु घरपर ऊपरसे । उतारे वस्त्रको चौगुना (चौपत) कर निचोड़े । इसे बायीं ओर रखकर जलसे बाहर दो बार आचमन करे । निचोड़े हुए वस्त्रको कंधेपर रखना मना है ।
पूर्वदिशासे प्रारम्भ कर पश्चिमकी ओर या उत्तरसे दक्षिणकी ओर वस्त्र फैलाना चाहिये । इसके विपरीत फैलानेसे वस्त्र अशुध्द हो जाता है और उसका फिरसे धोना आवश्यक हो जाता है । जलमें सूखे वस्त्रसे और स्थलमे गीले वस्त्रसे पूजा निषिध्द है । वस्त्रजलमें न निचोड़े ।
धोती इस प्रकार पहननी चाहिये कि इसमें तीन कच्छ (लाँगें) लगाये जा सकें । एक लाँग पीछेकी ओर लगायी जाती है, दूसरी नाभिके पास और तीसरी इससे बायीं ओर । उत्तरीय (चादर या गमछा) अवश्य धारण करे ।
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Last Updated : November 26, 2018
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