शिखा-बन्धन

प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.


स्नान, दान, जप, होम, संध्य और देवार्चन-कर्ममें बिना शिखा बाँधे कभी कर्म नहीं करना चाहिये, जैसा कि कहा है --

स्नाने दाने जपे होमे संध्यायां देवतार्चने ।
शिखाग्रन्थिं विना कर्म न कुर्याद् वै कदाचन ॥
शिखा बाँधनेका मन्त्र यह है --

चिद्रूपिणि ! महामाये ! दिव्यतेज:समन्विते !
तिष्ठ देवि ! शिखामध्ये तेजोवृध्दिं कुरुष्व मे ॥
उपर्युक्त मन्त्रसे अथवा गायत्री-मन्त्रसे शिखा बाँध लेनी चाहिये । शिखा न हो तो उसके स्थानपर कुशा रख लेनेका विधान है ।

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Last Updated : November 26, 2018

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