सूर्योप स्थान
प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.
( प्रातः-संध्याके अनुसार करे )
प्राणायामके बाद ’ॐ सूर्यश्च मेति’ के विनियोग तथा आचमन-मन्त्रके स्थानपर नीचे लिखा विनियोग तथा मन्त्र पढे।
विनियोग-ॐ आप: पुनन्त्विति ब्रम्हा ऋषिर्गायत्री छन्द: आपो देवता अपामुपस्पर्शने विनियोग:।
आचमन-ॐ आप: पुनन्तु पृथिर्वी पृथ्वी पूता पुनातु माम्।
पुनन्तु ब्रह्मणस्यतिर्ब्रह्मपूता पुनातु माम्। यदुच्छिष्टमभोज्यं च यद्वा दुश्चरितं मम। सर्वं पुनन्तु मामापोऽसतां च प्रतिग्रह स्वाहा।
उपस्थान-
चित्रके अनुसार दोनों हाथ उपर करे।
अर्घ्य-सीधे खडे होकर सूर्यको एक अर्घ्य दे।
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Last Updated : November 27, 2018
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