बलिवैश्वदेव-विधि

प्रस्तुत पूजा प्रकरणात भिन्न भिन्न देवी-देवतांचे पूजन, योग्य निषिद्ध फूल यांचे शास्त्र शुद्ध विवेचन आहे.


बलिवैश्वदेव-विधि
रसोईघरके बीच कुण्डके पीछे पूरबकी ओर मुखकर कुशासनपर बैठकर पवित्री धारणकर आचमन और प्राणायाम करे । इसके बाद हाथमें जल लेकर संकल्प करे-
‘अद्य ... मम पञ्चसूनाजनितपापक्षयपूर्वकश्रीपरमेश्वरप्रीत्यर्थ तन्त्रेण वैश्वदेवकर्म करिष्ये ।’
इसके बाद
‘पावकनाम्ने अग्नये नम:-
इस मन्त्रसे प्रज्वलित अग्निको कुण्डमें प्रतिष्ठित करे । उक्त मन्त्रसे अग्निकी पूजा कर प्रणाम करे । निम्नलिखित मन्त्रसे प्रार्थना करे -
मुखं य: सर्वदेवानां हव्यभुक्‍ कव्यभुक्‍ तथा ।
पितृणां च नमस्तस्मै विष्णवे पावकात्मने ॥
इसके बाद जलसे पर्युक्षण कर दाहिना घुटना टेककर सव्य होकर बायें हाथसे हृदयका स्पर्श करते हुए देवतीर्थसे जलती हुई आगमें घृताक्त अन्नकी पाँच आहुतियाँ दे -
==
(१)
देवयज्ञ
१-ॐ ब्रह्मणे स्वाहा, इदं ब्रह्मणे न मम ।
२-ॐ प्रजापतये स्वाहा, इदं प्रजापतये न मम ।
३-ॐ गृह्याभ्य: स्वाहा, इदं गृह्याभ्यो न मम ।
४-ॐ कश्यपाय स्वाहा, इदं कश्यपाय न मम ।
५-ॐ अनुमतये स्वाहा, इदमनुमतये न मम  ।
इसके बाद जलपात्रके पास (चित्र देखें) हवनसे बचे हुए अन्नके तीन ग्रास रखे ।
बलिवैश्वदेव (भूतयज्ञ)
१ -ॐ पर्जन्याय नम: ।
२ -ॐ अद्‍भ्यो नम: ।
३ -ॐ पृथिव्यै नम: ।
इसके बाद अग्निके पास पानीसे एक बित्ता चौकोर मण्डल बनाकर उसका द्वार पूरबकी और रखे । इसमें साथके मानचित्रके अड्कोंके अनुसार बीस आहुतियाँ देनी है । जैसे चित्रमें जहाँ एक अड्क लिखा है, वहाँ ‘धात्रे नम:, इदं धात्रे न मम’ कहकर एक ग्रास रखे, फिर जहाँ २ का अड्क लिखा है, वहाँ गृहद्वारपर, दूसरा ग्रास रखे, फिर जहाँ २ का अड्क लिखा है, वहाँ गृहद्वारपर, दूसरा ग्रास रखे । इसी तरह ३ से २० तक अड्कोंकी जगह ग्रास देते जायँ-
==
(२) भूतयज्ञ
१-ॐ  धात्रे नम:, इदं धात्रे न मम ।
२-ॐ विधात्रे नम:, इदं विधात्रे न मम ।
३-ॐ वायवे नम:, इदं वायवे न मम ।
४-ॐ वायवे नम:, इदं वायवे न मम ।
५-ॐ वायवे नम:, इदं वायवे न मम ।
६-ॐ वायवे नम:, इदं वायवे न मम ।
७-ॐ प्राच्यै नम:, इदं प्राच्यै न मम ।
८-ॐ अवाच्यै नम:, इदमवाच्यै न मम ।
९-ॐ प्रतीच्यै नम:, इदं प्रतीच्यै न मम ।
१०-ॐ उदीच्यै नम:, इदमुदीच्यै न मम ।
११-ॐ ब्रह्मणे नम:, इदं ब्रह्मणे न मम ।
१२-ॐ अन्तरिक्षाय नम:, इदमन्तरिक्षाय न मम ।
१३-ॐ सूर्याय नम:, इदं सूर्याय नम ।
१४-ॐ विश्वेभ्यो देवेभ्यो नम:, इदं विश्वेभ्यो देवेभ्यो न मम ।
१५-ॐ विश्वेभ्यो भूतेभ्यो नम:, इदं विश्वेभ्यो भूतेभ्यो न मम ।
१६-ॐ उषसे नम:, इदमुषसे न मम ।
१७-ॐ भूतानां पतये नम:, इदं भूतानां पतये न मम ।
==
(३) पितृयज्ञ
दक्षिणकी ओर मुखकर जनेऊको दाहिने कंधेपर रखकर बायाँ घुटना टेके ।
१८-ॐ पितृभ्य: स्वधा नम:, इदं पितृभ्य: स्वधा न मम ।
निर्णेजनम्‍-पूरबकी और मुखकर सव्य होकर दाहिना घुटना टेके । अन्नके पात्रको धोकर वह जल १९ वें अड्ककी जगह निम्न मन्त्र पढकर डाले -
१९-ॐ यक्ष्मैतत्ते निर्णेजनं नम:, इदं यक्ष्मणे न मम ।
==
(४) मनुष्य-यज्ञ
जनेऊको कण्ठीकर उत्तराभिमुख होकर २० वें अड्कपर ग्रास दे ।
२०-ॐ हन्त ते सनकादिमनुष्येभ्यो नम:, इदं हन्त ते सनकादिमनुष्येभ्यो न मम ।
==
(५) ब्रह्मयज्ञ
पूरबकी ओर मुँह कर सव्य होकर पालथी मारकर तीब बार गायत्रीका जप करे ।

N/A

References : N/A
Last Updated : December 02, 2018

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP