हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|कुम्भनदास| जो पै चोंप मिलनकी होय... कुम्भनदास भगतकौ कहा सीकरी काम ।... नैन भरि देख्यौ नंदकुमा... जो पै चोंप मिलनकी होय... भजन - जो पै चोंप मिलनकी होय... हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है। Tags : bhajankumbhandasकुम्भनदासभजन सारंग Translation - भाषांतर जो पै चोंप मिलनकी होय । तौ क्यों रहै ताहि बिनु देखे लाख करौ जिन कोय ॥ जो यह बिरह परस्पर ब्यापै जो कछु जीवन बनै । लोकलाज कुलकी मरजादा एकौ चित्त न गनै ॥ कुंभनदास प्रभु जाय तन लागी और न कछू सुहाय । गिरधरलाल तोहि बिनु देखे छिन-छिन, कलप बिहाय ॥ N/A References : N/A Last Updated : December 21, 2007 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP