कौन रसिक है इन बातन कौ ।
नंद-नँदन बिन कासों कहिये
सुन री सखी मेरौ दुख या मनकौ ॥१॥
कहाँ वह जमुनापुलिन मनोहर
कहाँ वह चंद सरद रातिनकौ ।
कहाँ वह मंद सुगन्ध अमल रस
कहाँ वह षटपद जलजातनकौ ॥२॥
कहाँ वह सेज पौढ़िबौ बनकौ
फूल बिछौना मृदु पातनकौ ।
कहाँ वह दरस परस परमानँद
कोमल तन कोमल गातनकौ ॥३॥