मो मन परी है यह बान ॥
चतुरभुजको चरण परिहरि, ना चहूँ कछु आन ।
कमल नैन बिसाल सुंदर, मंद मुख मुसकान ॥
सुभग मुकुट सुहावनों सिर, लसै कुंडल कान ।
प्रगट भाल बिसाल राजत, भौंह मनहुँ कमान ॥
अंग अंग अनंगकी छबि पीत पट पहिरान ।
कृष्णरूप अनूपको मैं, धरूँ निसदिन ध्यान ॥
सदा सुमिरूँ रूप पल पल, कला कोटि निदान ।
जामसुता परतापके भुज, चार जीवन-प्रान ॥